SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुक्रमणिका५२ श्री महानिशीथ सूत्रना संबंधमां कुमतियोनुं दूषण अने ते बाबतमां करेलु समाधान. ६४ ४३ जिनालय करवाना संबंधमां श्रीकुवलयप्रन आचार्यना उपदेशनो अधिकार अने ते संबंधे कुमतियोए करेली आशंकानुं समाधान. ६५ ४४ व्रतधारी मुनियोने जिनबिंबने नमवानो आदेश नथी एवी कुमतियोनी वाणीनुं समाधान. ४५ प्रतिमां संबंधी वैयावच्च तेनी नक्तिधारा थायजे, एवी श्री प्रश्नव्याकरण सूत्रनी शादी. . ४६ श्री प्रश्नव्याकरण सूत्रमा चैत्यपदनो अर्थ ज्ञान एम कथन करनारा कुमतियोनी वाणीनुं खंडन. ४७ वैयावच्च संबंधी चोथा गुणस्थानमां करेला अर्थनुं वर्णन.७५ पूष्प, जल अने अग्निना जीवोनो वध करी पुजा करनारा प्राणीयोने धर्म केम थाय ? एवी कुमतियोनी वाणीने परास्त करता थकां जे वधने कुशास्त्रमा धर्म कथन करेलो ते हिंसाने, अने सक्रियानी स्थिति हिंसा नथी, एम करेलुं समाधान. ७५ ४ए दोषवाली पूजा करवाना करतां सामायिक विगेरे निर्दोष क्रिया करवी एवी कुमतिनी वाणीनु, युक्तिवालुं समाधान. ७७ ५० चैत्यपूजामां आरंजनी शंका करवाश्री जे दोष लागे तेनुं वर्णन. ५१ सावद्य कर्मनो संदेप करनार अने पापलीरु श्रावक अव्य पूजानो अधिकारी नश्री एम दृष्टांत युक्त उपदेश. १
SR No.022204
Book TitlePratima Shatak
Original Sutra AuthorYashovijay Maharaj
AuthorBhavprabhsuri, Mulchand Nathubhai Vakil
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1903
Total Pages158
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy