SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सारांश १ उल्लास ] पञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. पूर्वभवनाम, पूर्वभवगुरु पूर्वभवस्वर्ग पूर्वभवायु राज्य ७-८ १२ १३ जिन १ वज्रनाभचक्री वज्रसेन विमलवाहन अरिदमन ३ विपुलवल ४ महाबल ५ अतिबल ६ अपराजित ७) नन्दीषेण ८ पद्मराज ९ महापद्म १० पद्मनरपति ११ नलिनीगुल्म १२ पद्मोत्तर १३ पद्मसेन | १४ पद्मरथ १५ दृढरथ १६ मेघरथ १७ सिंहावह १८ धनपति १९ वैश्रमण २० श्रीवर्मा सवार्थसिद्ध विजयानुत्तर ७ ग्रैवेयक संभ्रान्त विमलवाहन | जयंतानुत्तर सीमन्धर पिहिताश्रव जयंतानुत्तर ९ ग्रैवेयक अरिदमन २१ सिद्धार्थ २२ सुप्रतिष्ठ २३ आनन्द २४ नन्दन युगन्धर सर्वजगानंद सस्ताघ वज्रदत्त वज्रनाभ सर्वगुप्त चित्ररथ विमलवाहन विजयानुत्तर सर्वार्थसिद्ध घनरथ सम्बर साधुसंवर वरधर्म सुनन्द नन्द अतियश दामोदर पोट्टिलक २८ सागर ६ ग्रैवेयक विजयंतानुत्तर ३३ सागर आनतदेवलोक १९ सागर प्राणतदेवलोक २० सागर अच्युतदेवलोक २२ सागर प्राणतदेवलोक २० सागर सहस्रारदेवलोक १८ सागर प्राणतदेवलोक २० सागर ३३ सागर ३३ सागर २९ सागर ३३ सागर ३३ सागर ३१ सागर सर्वार्थसिद्ध सर्वार्थसिद्ध ३२ सागर ३३ सागर ३३ सागर ३३ सागर ३३ सागर जयन्तानुत्तर अपराजितानुत्तर ३३ सागर प्राणतदेवलोक २० स्नागर अपराजितानुत्तर ३३ सागर प्राणतदेवलोक २० सागर प्राणतदेवलोक २० सागर
SR No.022123
Book TitlePanchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendrasuri, Yatindravijay
PublisherRatanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain
Publication Year1935
Total Pages202
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy