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________________ श्राद्धविधि प्रकरण ____निद्रा में से जागृत होते ही विचार करना कि, कौन से तत्व के चलते हुये निद्रा उच्छेद हुई है । कहा wwwinraanwarwwwnwar है कि अभाभूतत्वयोनिद्रा विच्छेदः शुभहेतवे ॥ - व्योमवाद्यग्नितत्वेषु स पुनर्दुःखदायकः ॥१॥ — जल और पृथ्वी तत्व में निद्रा विच्छेद हो तो श्रेयस्कर है और यदि आकाश, वायु और अग्नि तत्व में निद्रा विच्छेद हो तो दुःखदाई जानना । वामा शस्तोदयेपक्षे । सिते कृष्ण तु दक्षिणा ॥ त्रिणि त्रिणि दिनानींदु सूर्ययोरुदयः शुभः ॥ २ ॥ शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा से तीन दिन प्रातःकाल में सूर्योदय के समय चन्द्र नाड़ी श्रेयस्कर है और कृष्णपक्षमें प्रतिपदा से तीन दिन सूर्योदय के समय सूर्य नाड़ी श्रेष्ठ है। शुक्लप्रतिपदो वायुश्चंद्रेऽथा व्यहं व्यहं । वहन् शस्तोऽनया वृत्त्या, विपर्यासे तु दुःखदः ॥ ३ ॥ प्रतिपदा से लेकर तीन दिन तक शुक्ल पक्ष में सूर्योदय के समय चन्द्र नाड़ी चलती हो और कृष्ण पक्ष में सूर्य नाड़ी चलती हो उस वक्त यदि वायु तत्त्व हो तो वह दिन शुभकारी समझना । और यदि इससे विपरीत हो तो दुःखदाई समझना। शशांकेनोदयो वाय्वोः । सूर्येणास्तं शुभावहं ॥ उदये रविणा त्वस्य । शशिनास्तं शुभावहं ।। ४ ॥ यदि वायु तत्व में चंद्र नाड़ी वहते हुये सूर्योदय और सूर्य नाड़ी चलते हुये सुर्यास्त हो एवं सूर्य नाड़ी चलते हुवे सूर्योदय और चन्द्र नाड़ी चलते हुये सूर्यास्त हो तो सुखकारी समझना। - कितनेक शास्त्रकारों ने तो वार का भी अनुक्रम बांधा हुवा है और वह इस प्रकार-रवि, मंगल, गुरु, और शनि ये वार सूर्य नाड़ी के वार और सोम बुध तथा शुक्र ये तीन चंद्र नाड़ी के वार समझना। कितनेक शास्त्रकारों ने संक्रांति का भी अनुक्रम बांधा हुवा है। मेष संक्रांति सूर्य नाडी की और वृष संक्रांति चन्द्र नाडी की है। एवं अनुक्रम से बारह ही संक्रांतियों के साथ सूर्य और चन्द्र नाडी की गणना करना। साईघटीद्वयं नाडिरेकैकार्योदयाद्वहेत् ॥ अरघट्टघटीभ्रांतन्यायो नाडयोः पुनः पुनः॥५॥ सूर्योदय के समय जो नाड़ी चलती हो वह ढाई घड़ी के बाद बदल जाती है। चंद्रसे सूर्य और सूर्य से चन्द्र इस प्रकार कुवे के अहट्ट समान सारे दिन नाड़ी फिरा करती हैं। .......... ........
SR No.022088
Book TitleShraddh Vidhi Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakvijay
PublisherAatmtilak Granth Society
Publication Year1929
Total Pages460
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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