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________________ प्रमाण में जाना ही उपकार करनेवाले नहीं होते। इससे इस . सम्बन्ध में एक सामान्य नियम बांधने के स्थान में समता प्राप्त करने के अनेक साधन बताना जिनमें से यह जीव अपने योग्य पसन्द कर सके अधिक सरल मार्ग हैं। यह विचार कर इस प्रन्थ में उसके अनेक साधन बताये गये हैं। लगभग बहुत से जीवोंपर एकसा उपकार करने का साधन चार भावना भाने समान है। ये भावनायें इतनी उत्तम हैं कि पांचवें श्लोक में बतायेनुसार ये दुर्ध्यान को नहीं आने देती। ये चार भावनायें इस श्लोक में बतायेनुसार मैत्री, प्रमोद, करुणा और माध्यस्थ हैं। इस का विस्तार से स्वरूप तेरह से सोलह में बताया जायगा । इस साधन पर ध्यान रख कर अब इसी विषय का विशेष उल्लेख किया जाता है । यहां पहले श्लोक के विवेचन में बवायेनुसार उद्देश निदेशरूप में पुनरावृत्त दोष की शंका नहीं होती। चार भावनाओ का संक्षिप्त स्वरूप. मैत्री परस्मिन् हितधीः समये, भवेत्प्रमोदो गुणपक्षपातः। कृपा भवार्ने प्रतिकर्तुमाहो पेचैव माध्यस्थ्यमवार्यदोषे ॥ ११ ॥ " दूसरे सर्व प्राणियों पर हित करने की बुद्धि यह —(प्रथम ) मैत्री भावना; गुण का पक्षपात यह (दूसरी) प्रमोद भावना; भवरूप व्याधि से दुःखित प्राणियों को भाव १ संसार अथवा कर्म । इस से भावदया और द्रव्यदया इन दोनों का इस में समावेश होजाता है ।
SR No.022086
Book TitleAdhyatma Kalpdrum
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay Gani
PublisherVarddhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala
Publication Year1938
Total Pages780
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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