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________________ हेय, उपादेय आदि शान में विकलता होने से चित्त अभीतक बालक है । भावना से धैर्य-स्थिरता प्राप्त होता है अतः यह औषधरूप है और दुर्ध्यान से परवशपन, दुर्गति और उन्माद होता है अतः वह भूत व्यंतर समान है। ___ भावना समता के प्रथम बीजरूप है ऐसा यहाँ उपदेश किया गया है । इस अधिकार में मैत्र्यादि चार भावनाओं का स्वरूप बतलाया जायगा । इस से पहिले समता का सुख कैसा है यह बतलाया जाता है। . इन्द्रियों का सुख, समता का सुख • यदिद्रियार्थैः सकलैः सुखं, __ स्यान्नरेंद्रचक्रित्रिदशाधिपानाम् । तद्विंदवत्येव पुरो हि साम्य सुधां बुधस्तेन तमाद्रियस्व ॥ ६ ॥ "राजा, चक्रवर्ती और देवताओं के स्वामी इन्द्रों को सर्व इन्द्रियों के अर्थों से जो सुख होता है वह समता के सुखसमुद्र के सामने सचमुच एक बिन्दु के समान है, अतः समता के सुख को प्राप्त कर।" उपजातिवृत्त १ उपेन्द्रवज्र में ११ अक्षर. उपेन्द्रवज्राप्रथमेलधौसा अन्नतरोदीरितलक्ष्मभाजौ पादौ यदीयावुपजातयस्ताः इन्कार और उपेन्द्रवज्र के चरणों के मिल जाने से उपजाति छंद होता है।
SR No.022086
Book TitleAdhyatma Kalpdrum
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay Gani
PublisherVarddhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala
Publication Year1938
Total Pages780
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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