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________________ १४६ लघ्वर्हन्नीति .. ।। स्वामी के कार्य और हित के लिए तत्पर साक्ष्य देने वाले पुरुषों तथा विजातीय'प्रच्छन्न रूप से कार्य करने वालों के द्वारा दोनों की सत्यता का निर्णय करना चाहिए। वाद्युक्तं चेद्वचः सत्यं तदा भूपो यथातथा। दापयित्वा धनं तस्मै दण्डयेन्न्यस्तरक्षकम्॥१२॥ यदि वादी (न्यास देने वाले) का वचन सत्य हो तब राजा द्वारा जिस किसी ढङ्ग से उसे धन दिलवाकर न्यास रखने वाले को दण्डित करना चाहिये। (वृ०) अर्थिन्यसत्ये किं स्यादित्याह - ... वादी के असत्य सिद्ध होने पर क्या करना चाहिए, यह कथन अर्थिन्यसत्ये दण्ड्यः स यावद्वेदनमर्थतः। ..... तथा न पुनरन्योऽप्यनीतिं कुर्याच्च कश्चन॥१३॥.... ... .: वादी के झूठा सिद्ध होने पर उसने जितना धन बताया हो उतने धन से दण्डित करना चाहिए जिससे पुनः कोई भी अन्य दुराचार न करे। TAS निजमुद्राङ्कितं बन्धं कृत्वा च वस्तुनः स्वयम्। निकटे स्थाप्यतेऽन्यस्य बुधैरुपनिधिः स्मृतः॥१४॥ जब स्वयं अपनी मुद्रा अङ्कित कर और बाँधकर वस्तु को दूसरे के पास रखा जाता है तो उसे विद्वानों द्वारा उपनिधि कहा जाता है। निक्षेप्ता लेखपत्रे चेत्पुत्रनाम, न लेखितम्। याचितं तदवाप्नोति पुत्र ऋक्थं मृतौ पितुः॥१५॥ न्यास करने वाले ने यदि लेखपत्र में पुत्र का नाम नहीं लिखाया है तो भी पिता की मृत्यु के बाद उस न्यास को धनी से माँगने पर पुत्र प्राप्त कर लेता है। जलाग्निचौरैर्यन्नष्टं तन्निक्षेप्ता न चाप्नुयात्। निक्षेपरक्षकाद्रव्यं तत्प्रसादादृते नरः॥१६॥ (न्यास रूप में निक्षिप्त धन) यदि जल, अग्नि या चोरों के कारण नष्ट हो जाय तो निक्षेप रखने वाले की कृपा के बिना निक्षपेकर्ता उसे प्राप्त नहीं कर सकता। (वृ०) ऋक्थिधनिनोर्निक्षेपनिह्नवं कुर्वतो नृपः किं कुर्यातदित्याह यदि न्यास रखने वाला स्वामी निक्षेप (रखने से) मुकर जाता है तो राजा को क्या करना चाहिए, इसका कथन -- १. दम्यः भ १, भ२. प १, दमाः प २।। २. स्थाप्यतेयस्य भ १, भ २, प २॥
SR No.022029
Book TitleLaghvarhanniti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandracharya, Ashokkumar Sinh
PublisherRashtriya Pandulipi Mission
Publication Year2013
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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