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________________ वेतनादानस्वरूपम् १३१ घर की दासी से उत्पन्न व्यक्ति गृहज दास है। मूल्येन गृहीतः क्रीतः २। मूल्य देकर ग्रहण किया गया व्यक्ति क्रीत दास है। स्वामिना धनगृहणार्थमाधितो नीत आधितः ३। स्वामी द्वारा धन ग्रहण करने के लिए धरोहर में लिया गया व्यक्ति आधित दास है। मार्गेऽनाधारः सार्थभ्रष्टो वा प्राप्तो लब्धः ४। मार्ग में प्राप्त, आश्रयरहित, व्यापारियों के दल से भटका हुआ व्यक्ति लब्ध दास है। विवाहे दाये समागतो दायागतः ५। विवाह में वैवाहिक उपहार के रूप में प्राप्त दास दायागत है। दुर्भिक्षे पोषितः ६। दुर्भिक्ष में पोषित दास। सङ्ग्रामे जितो युद्धप्राप्तः ७। लड़ाई में जीता गया दास युद्धप्राप्त है। द्यूतेजितः ८॥ द्यूत में जीता गया दास। ऋणापनयनं यावत् दास ऋणभाक् ९। ऋण के भुगतान तक दास रखना ऋणभाक् है। ऋणमोचनेन दासः कृत ऋणमोचितः १०। ऋण की राशि छोड़ने के बदले दास बनाना ऋणमोचित है। भोजननिबन्धेनैव रक्षितः ११। मात्र भोजन की शर्त पर रखा गया दास रक्षित है। प्रव्रज्याच्युतः १२। दीक्षा से भ्रष्ट दास। स्वयमागतः १३॥ स्वयं आया हुआ दास। तत्पुत्रीपरिणयलोभेनागतः १४।
SR No.022029
Book TitleLaghvarhanniti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandracharya, Ashokkumar Sinh
PublisherRashtriya Pandulipi Mission
Publication Year2013
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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