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________________ लघ्वर्हन्नीति एक पुरुष की कई पत्नियों में से एक पत्नी से पुत्र उत्पन्न होने पर सभी पत्नियाँ पुत्रवती कही जाती हैं । पुत्र रहित अन्य पत्नी की मृत्यु होने पर उसका धन वह पुत्र ग्रहण करे । ११० ( वृ०) एक एव पुत्रो दुहित्रभावे सर्वासामनपत्यानां धनस्य स्वामी स्यादिति । (इसमें अपवाद यह है कि पुत्ररहित) स्त्रियों के पुत्री न होने पर एक ही पुत्र सभी निःसन्तान स्त्रियों की सम्पत्ति का स्वामी हो । ननु पैतामहे द्रव्ये पौत्राणां भागः कथं स्यादित्याह - पितामह की सम्पत्ति में पौत्रों का भाग किस प्रकार हो, इसका कथन - पैतामहे च पौत्राणां भागाः स्युः पितृसंख्यया । पितुर्द्रव्यस्य तेषां तु संख्यया भागकल्पना ॥९८॥ पितामह की ( सम्पत्ति में) पिता की संख्या की दृष्टि से पौत्रों का हिस्सा हो और पिता के धन में उन पुत्रों की संख्या की दृष्टि से हिस्सा हो । (वृ०) ननु बहुषु भ्रातृष्वेकस्य पुत्रोत्पत्तावपरेषां तु पुत्राभावे किं स एव सर्वधन- स्वामी स्यादित्याह - बहुत से भाइयों में से एक के पुत्र होने पर और अन्य के पुत्र न होने पर क्या वही सब के धन का स्वामी हो, यह कथन पुत्रस्त्वेकस्य सञ्जातः सोदरेषु च भूरिषु । तदा तेनैव पुत्रेणं ते सर्वे पुत्रिणः स्मृताः॥९९॥ बहुत से सहोदर भाइयों में से एक भाई के ही पुत्र उत्पन्न हुआ हो तब सभी भाई उसी पुत्र के कारण ही पुत्रवान कहे जाते हैं। (वृ०) अत्रपुत्रत्वसम्बन्धप्रतिपादनेन सर्वधनस्वामी स एवैकः पुत्रः स्यादित्यावेदितम्। उपर्युक्त श्लोक में पुत्र - सम्बन्ध के प्रतिपादन से सम्पूर्ण सम्पत्ति का स्वामी वही पुत्र हो, यह प्ररूपित किया। नन्वविभक्तकुलक्रमागतद्रव्ये श्वश्रूसत्वे पुत्रवध्वाः कीदृशोऽधिकार इत्याहअविभाजित वंश-परम्परा से प्राप्त सम्पत्ति में सास के होने पर पुत्र - वधू का किस रूप में अधिकार होता है, यह कथन — अविभक्तं क्रमायातं श्वसुरस्वं न हि प्रभुः । कृत्ये निजे व्ययीकर्तुं सुतसम्मतिमन्तरा ॥१००॥
SR No.022029
Book TitleLaghvarhanniti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandracharya, Ashokkumar Sinh
PublisherRashtriya Pandulipi Mission
Publication Year2013
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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