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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मजणघराओ पडिणिक्खभइ त्ता जेणेव तिमिस्सगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस कवाडा तेणेव परित्य गमणाए, तए णं तस्स सुसेणस्स सेणावइस्स बहवे राईसरतलवरमाडंबिअजावसत्थवाहप्पभियओ अप्पेगड़आ उप्पलहत्थगया जाव सुसेणं सेणावई पिटुओ २ अणुगच्छंति, तए णं तस्स सुसेणस्स सेणावइस्स बहूईओ खुजाओ चिलाइआओ जाव इंगिअचिंतिअपत्थिअविआणिआओ णिउणकुसलाओ विणीआओ अप्पेगइआओ कलसहत्थगयाओ जाव अणुगच्छंति, तए णं से सुसेणे सेणावई सव्विद्वीए जाव णिग्घोसणाइएणं जेणेव तिमिस्सगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्सकवाडा तेणेव उवागच्छइत्ता आलोए पणामं करेइत्ता लोमहत्थगं परामुसइ त्ता तिमिस्सगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडे लोमहत्थेणं एमज्जइत्ता दिव्वाए उदगधारए अब्भुक्खेइत्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितले चच्च (प्र०)एयदलेइत्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहि य मल्लेहि यअच्छिणेइत्ता पुप्फारुहणं जाव वत्थारु हणं करेइत्ता आसत्तोसत्तविपुलवट्ट जाव करेइत्ता अच्छेहि सण्हेहिं श्ययामएहिं अच्छरसातंडुलेहिं तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडाणं पुरओ अट्ठमंगलए आलिहइ तं० -सोस्थियसिरिवच्छ जाव कयग्गहगहिअकरयलपब्भ० चंदप्पभवइरवेरूलिअविमलदंडं जाव धूवं दलयइ त्ता वाम जाणु अंचेइ त्ता कयल जाव मत्थए अंजलिं कट्ट कवाडाणं पणामं करेइ त्ता दंडरयणं परामुसइ, तए णं तं दंडरयणं पंचलइ वइरसारमइ विणासणं सव्वसत्तुसेण्णाणं खंधावारे णस्वइस्स गड्डादरिविसमपब्भारगिरिवरपवायाणं समीकरणं संतिक सुभकरं हितकर रण्णो हिअइच्छि अमणोरहपूरगं दिव्वभप्पडिहयं दंडरयणं गहाय सत्तट्ठ पयाई पच्चोसक्कइ त्ता तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्लस्स श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र। ६१ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
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