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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठविअ पूइअ विसजिआ णिअत्ता साणि णगराणि पट्टणाणि अणुपविठ्ठा, ताहे सेणावई सविणओ घेत्तूणं पाहुडाई आभरणाणि भूसणाणि रयणाणि य पुणरवि तं सिंधुणामधेज उत्तिण्णे अणहसासणबले, तहेव भरहस्स रण्णो णिवेएइ त्ता य अप्पिणित्ता य पाहुडाई सकारिअसम्माणिए सहरिसे विसजिए सगं पडमंडवमइगए, तते णं सुसेणे सेणावई हाए क्यबलिकम्मे क्यकोउअमंगलपायच्छित्ते जिमिअभुत्तुत्तरागए समाणे सरसगोसीसचंदणुक्खित्तगायसरीरे उप्पिंपासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमथएहिं बत्तीसइबद्धेहिं णाडएहिं वरतरुणीसंपउत्तेहिं उवणच्चिज्जमाणे उवगिजमाणे उवलालिजमाणे महयाहयणगीअवाइअतीतलतालतुडिअघणभुइंगपडुप्यवाइअवेणं इढे सहफरिसरसरूवगंथे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे भुंजमाणे विहर३ ॥५२॥तए णं से भरहे राया| अण्णया कयाई सुसेणं सेणावई सद्दावेइ त्ता एवं वयासी गच्छ णं खिय्यामेव भो देवाणुप्पिआ! तिमिस्स गुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेहि त्ता मम एअमाणत्ति पच्चप्पिणाहि, तए णं से सुसेणे सेणावई भरहेणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे हद्वतुट्ठचित्ते जाव करयलपरिग्गहिअंमत्थए अंजलिं कट्ट जाव पडिसुणेइ त्ता भरहस्स रण्णो अंतियाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव सए आवासे जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ त्ता दब्भसंथारगं संथरइ जाव क्यमालगस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हइ पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जाव अट्ठमभत्तंसि परिणममाणसि पोसहालाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छइ त्ता बहाए क्यबलिकम्मे कयकोउअमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्यावेसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिए अन्यमहग्याभरणालंकियसरीरे धूवपुष्पगंधमल्लहत्थगए श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
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