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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | महामेहे खिभ्यामेव पतणतणाइस्सइ त्ता खिय्यामेव पविजुआइस्सइ त्ता खिप्यामेव जुगमुसलमुट्ठिप्पमाणमित्ताहिं धाराहिं ओघमेधं|| सत्तरत्तं वासं वासिस्सइ, जेणं भरहस्स वासस्स भूमिभागं इंगालभूअं मुमुरभूअं छारिअभूअं तत्तकवेल्लुगभूअं तत्तसमजोइभूअं णिव्वाविस्सतित्ति, तंसिचणं पुक्खलसंवट्टगंसि महामेहंसिसत्तरत्तं णिवतितंसि सभाणंसिएत्थणं खीरमेहे णामं महामेहे पाउभविस्सइ भरहप्यमाणमेत्ते आयामेणं तदणुरुवं च णं विक्खंभबाहल्लेणं, तए णं से खीरमेहे णामं महामेहे खिप्यामेव पतणतणाइस्सइ जाव खिप्यामेव जुगमुसलमुद्धि जाव सत्तरत्तं वासं वासिस्सइ, जेणं भरहवासस्स भूभीए वण्णं गंधं रसं फासंच जणइस्सइ, तंसि च णं खीरमेहंसि सत्तरत्तं णिवतितंसि समाणंसि इत्थ् णं ध्यमेहे गाम महामेहे पाउभविस्सइ भहप्यमाणमेत्ते आयामेणं तदणुरुवं च णं विक्खंभबाहल्लेणं, तए णं से ध्यमेहे खिभ्यामेव पतणतणाइस्सइ जाव वासं वासिस्सइ, जेणं भरहस्स भूभीए सिणेहभावं जणइस्सइ, तंसिचणंघयमेहंसिसत्तरत्तं णिवतितंसिसमाणंसिएत्थणं अमयमेहे पाउन्भविस्सइ भहप्यमाणमित्तंआयामेणंजाव वासंवासिस्सइ, जेण भरवहवासे रुक्खगुम्भलयवल्लितणपव्वगहरितगओसहिपवालंकुरमाइए तणवणस्सइकाइए जणइस्सइ, तंसिंच णं अभयमेहंसि सत्तरत्तं णिवतितंसि सभाणंसि एत्थ णं रसमेहे णामं महामेहे पाउभविस्सइ भहप्पमाणमित्ते आयामेणं जाव वासं वासिस्सइ, जेणं तेसिंबहूणंरुक्खगुच्छगुम्मलयवल्लितणपव्वगहरितओसहिपवालंकुरमादीणं तित्तकडुअकसायअंबिलमहरे पंचविहे रसविसेसेजणइस्सइ, तए णं भरहे वासे भविस्सइ परुढरुक्खगुच्छगुम्मलयवल्लितणपव्वगहरिअओसहिए उवचियतयपत्तपवालपल्लवंकुरपुष्फफलसमुइए ॥ ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
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