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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मच्छकंच्छ भेहिं इक्वीसं वाससहस्साइं वित्तिं कप्पेमाणा विहरिस्संति, ते णं भंते! मणुआ णिस्सीला णिव्वया णिग्गुणा णिम्मेरा | णिष्पच्चक्खाणपोसहोववासा ओसण्णं मंसाहारा मच्छाहारा खुड्डा (द्दा) हारा कुणिमाहारा कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिंति कहिं उववज्जिहिंति?, गो० ! ओसण्णं णरगतिरिक्खजोगिएसु उववज्जिहिंति, तीसे णं भंते! समाए सीहा वग्धा विगा दीविआ अच्छा तरच्छा परस्सरा सरभसियाल बिरालसुणगा कोलसुणगा ससगा चित्तगा चिल्ललगा ओसण्णं मंसाहारा मच्छाहारा खोद्दाहारा कुणिमाहारा कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिंति० ?, गो० ! ओसण्णं णरगतिरिक्खजोणिएस उववज्जिहिंति, ते णं भंते! ढंका कंका पीलगा मग्गुगा सिही ओसण्णं मंसाहारा जाव कहिं गच्छिहिंति०?, गो० ! ओसण्णं णरगतिरिक्खजोगिएसुं जाव उववज्जिहिंति ॥ ३७ ॥ तीसे णं समाए इक्वीसाए वाससहस्सेहिं काले वीइकंते आगमिस्साए उस्सप्पिणीए सावणबहुलपडिवए बालवकरणंसि अभीइणक्खत्ते चोदसपढमसमये अनंतेहिं वण्णपज्जवेहिं जाव अनंतगुणपज्जवपरिवुड्डीए परिवद्धमाणे २ एत्थ णं दूसमदूसमाणाणं समाकाले | पडिवज्जिस्सइ समणाउसो !, तीसे णं भंते! समाए भरहस्स वासस्स केरिसए आगार भावपडोआरे भविस्सइ ?, गो०! काले भविस्सइ हाहाभूए भंभाभूए एवं सो चेव दूसमसमावेढगो णेअव्वों, तीसे णं समाए एक्वीसाए वाससहस्सेहिं काले दिइक्कंते अनंतेहिं वण्णपज्जवेहिं जावं अनंतगुणपरिवुद्धीए परिवर्द्धमाणे २ एत्थ णं दूसमाणामं समाकाले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो ! ॥ ३८ ॥ तेणं कालेनं० पुक्खलसंवट्टए णामं महामेहे पाउब्भविस्सइ भरहम्पमाणमित्ते आयामेणं तदाणुरुवं च णं विक्खंभबाहल्लेणं, नए णं से पुक्खलसंवट्टए पू. सागरजी म. संशोधित ॥ श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्रं ॥ ३८ For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
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