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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विजुअंतरिया उट्टिया समणा ते णं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाइं परियायं पाउणित्ताकालमासे कालं किच्चा उकोसेणं|| अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तर्हि तेसिं गती बावीसं सागरोवमाई ठिती अणाराहगा सेसं तं चेव १७ । से जे इमे गामागरजावसण्णिवेसेसु पव्वइया समणा भवंति तं०-अत्तुक्कोसिया परपरिवाइया भूइकम्भिया भुजो २ कोउयकारका ते णं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणंति त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयअपडिझंता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे आभिओगिएसु देवेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति तहिं तेसिं गई बावीसं सागरोवमाई ठिई परलोगस्स अणाराहगा सेसंतं चेव १८ से जे इमे गामागरजावसण्णिवेसेसु णिण्हगा भवंति तं०-बहुरया जीवपएसिया अव्वत्तिया सामुच्छेया दोकिरिया तेरासिया अबद्धिया इच्छेते सत्त पवयणणिण्हगा केवलचरिया लिंगसामण्णा मिच्छद्दिट्ठी बहूहिं असब्भावुब्भावणाहिं मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अपाणं च परं च तदुभयं च वुग्गाहेमाणा वुप्पाएमाणा विहरित्ता बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणंति त्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं उरिमेसु गेवेजेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति तहिं तेसिं गती एकत्तीसं सागरोवमाई ठिती परलोगस्स अणाराहगा सेसं तं चेव १९१ से जे इमे गामागरजावसण्णिवेसेसु मणुया भवंति तं०-अप्पारंभा अध्यपरिग्गहा थम्मिया धम्माणुया धम्मिट्ठा धमक्खाई धम्मप्पलोइया धम्मपलजणा धम्मसमुदायारा धम्मेणं चेव वित्तिं कथ्येमाणा सुसीला सुव्वया/ सुप्पडियाणंदा साहूहि एकच्चाओ पाणाइवायाओ पडिविरया जावजीवाए एकच्चाओ (एगइयाओ पा०) अपडिविरया एवं जाव ॥ औपपातिकमुपांग ॥ पू.सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only
SR No.021014
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages81
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size10 MB
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