SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पंचगपरिहाणीए निसीहपमुहेसु च्छेयगंथेसु । दीसइ भणियं मूलं भवमूले मूलकम्मम्मि ॥ १५ ॥ पंचिंदियववरोवग-दायगदोसम्मि एगकल्लाणं । संकाए जं संकइ पावइ तं तस्स पच्छित्तं ॥१६॥ अहकम्भे उद्देसिय चरमतिगे३ मीस चरिमजुयलम्मि २। बायर पाहुडियाए१ संपइ १ भाविसु १ निमित्तेसु ॥ १७ ॥ सप्पच्चवाय परगामाहडदोसम्मि १ लोभपिंडम्मि १॥ गाढपणिदियतावग-दायगदोसम्मि १ अंगारे १ ॥ १८॥ साहारण१ विगलिंदियमारग ३ पगलंतकुट्ठदाईसु १॥ कट्ठाइपाओया-रूढदायगे १ चित गुरुपिहिए ॥१९॥ अव्ववहिय भणियसाहारण निक्खिविउं ५ म्मीस १ पिहिय १ साहा(ह)रिये १॥ अपरिणय१ छड्डिएसुं१ अचित्तगुरुदव्वसाहरिए १ ॥ २० ॥ वसहि बहिर रंतरे वा १ दुविहे संजोयणाए दोसे वा।। चउगुरुगं पच्छित्तं भणियं कम्मट्ठाहणेहिं ॥ २१ ॥ कम्मुद्देसिय जावंतियम्मि १ मीसस्स पढमभेयम्मि १॥ पंचविहधाइदोसे ४ दुविहे दूइत्तदोसम्मि ॥ २२ ॥ मंत१वणीमगर विज्जा१ कोहारहंकारर जोग १ चुण्णे ओ १॥ तीयनिमित्ते१ संबंधिसंथवे १ दव्वकीयदुगे २ ॥ २३ ।। आजीवणासु पंचसु ५ तिविहे च्छेज्जे ३ णिसट्ठभेयतिगे ३ । भावायकीयदोसे १ लोइय पामिच्चदोसम्मि ॥२४॥ पत्तेयजियाणंतर निक्खिविउ ६ पिहिय ६ साहारिय ६ (साहरिए) । अपरिणय६ छड्डिएसु ६ संकुचिउब्भिन्नगकवाडे १ ॥ २५ ॥ निप्पच्चवाय परगामाहडदोसे पगासकरणम्मि । उक्कोसगमालोहड १ लोइय परियट्टदोसेसु १ ॥ २६ ॥ ८० For Private And Personal Use Only
SR No.020963
Book TitleShastra Sandeshmala Part 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy