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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सच्चित्तकद्दमेणं पमक्खिए १ पुव्व १ पच्छ १ कम्मेसु । गरहियमज्जाइपमक्खियम्मि १ बायरतिगिच्छाए Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संसत्तागरहियमक्खियम्मि १ संसत्त - लित्तहत्थम्मि १ संसत्त - लित्तमत्ते१ पिहि पुहिणे १ सधूमम्मि १ निक्कारणोवभुत्ते कारणसब्भावसंभवाभुत्ते १ । पत्तेयवणम्मी १ भणियपमाणाइरेगम्मि १ साहारण- विगलिंदिय- चउक्कगइगाढतावणकरीए ५ । साहारण १ चोरियगं १ परमुद्दिसिउं १ ददंतीसु पंचेंदियजीवसरीरथोवपरितावगावराहे य १ । चउलहुगं पच्छित्तं भणियं जिणवर - गणिदेहि अज्झोयरचरिमदुगे २ मायापिंडम्मिश्कहचउक्कम्मि ४ | विगलिंदियसाहारण ४ थोवगपरितावणकरीए ॥ २९ ॥ अप्पहु १ वुड्ड १ नपुंसग १ जरिय १ ऽव्वत्त१ मत्तगु१म्मत्ता १। छिण्णकर१ नियलबद्ध१ गह१ त्थंऽदुयबद्ध १ छिण्णपय (या) ॥ ३० ॥ वेविर १ कंडती १ बाललहुगा १ गुव्विणी १ विरोलंती १ । भज्जंती १ पीसंती १ पाहुडिठविगो १ गोत्तयंतीसु १ पत्तेगेगेंदियमारिगाए तिविहं सपच्चवायाए ३| संसत्तदव्वलित्तग-इत्थासत्ताइ दाईए १ ॥ ३१ ॥ ८१ ॥ २७ ॥ For Private And Personal Use Only ॥ २८ ॥ ॥ ३२ ॥ || 33 || ।। ३५ ।। ॥ ३६ ॥ साहारवणपरंपर निक्खिविओ १ मीस १ पिहिय १ साहरिय (ए) १ / अपरिणय १ छड्डिएसुं १ पंचेंदियघट्टणकरीए मीसाणंताणंतर निक्खिविउं१म्मीस १ पिहिय १ साहरिय (ए) १ | अपरिणय १ छड्डिएस १ पूइए भत्तपाणस्स १ पत्तेगेगेंदियजीवगाढपरितावदायगवराहे । तह अणंतमक्खिसु य मासगुरुं होइ पच्छित्तं ।। ३७ ।। || 38 || ॥ ३८ ॥
SR No.020963
Book TitleShastra Sandeshmala Part 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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