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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥४१॥ उक्कुट्ठ-पिट्ठ-कुक्कुसभेया पत्तेयमक्खियं तिविहं । तिविहे विहु लहुमासो गुरुमासोऽणंतमक्खियए ॥ ३६॥ गरहियइयरेहिं अचित्तमक्खियं दुविहमाहु साहुवरा । गरहियअचित्तमक्खियदोसेणं लहइ चउलहुयं ॥ ३७॥ अगरिहसंसत्तअचित्तमक्खियम्मि वि लहेइ चउलहुयं । निक्खित्तं पुढवाइसु अणंतर-परंपरं ति दुहा ॥३८॥ ठविए सचित्तभू-दग-सिहि-पवण-परित्तवणस्सइ-तसेसु । चठलहुय-मासलहुया अणंतर-परंपरेसु कमा ॥३९॥ अइरपरंपरठविए मीसेसु य तेसु मासलहु-पणगा। अइरपरंपरठविए पणगं पत्तेयणंतबीएसु ॥ ४०॥ सच्चित्तणंतकाए अणंतर-परंपरेण निक्खित्ते । चउगुरु मासगुरु कमा मीसे गुरुमास पणगाई तह गुरुअचित्तपिहियं सचित्तपिहियं च मीसपिहियं च। पिहियं तिहा अभिहियं चउगुरुयमचित्तगुरुपिहिए ॥४२॥ पिहिए सचित्तभू-दग-सिहि-पवण-परित्तवणसइ-तसेहिं । चउलहुय-मासलहुया अणंतर-परंपरेहिं कमा अइरपरंपरपिहिए मीसेहिं य तेहिं मासलहु पणगा। अइरपरंपरपिहिए पणगं पत्तेयणंतबीएहिं ॥ ४४ ॥ सच्चित्तअणंतेणं अणंतरपरंपरेण पिहियम्मि। चउगुरु-मासगुरु कमा मीसेणं मासगुरु पणगा साहरिए सजियभू-दग-सिहि-पवण-परित्तवणसइ-तसेसु । चउलहुय-मासलहुया अणंतर-परंपरपरेण कमा अइरतिरोसाहरिए मीसेसु उ तेसु मासलहु पणगा। अइरतिरोसाहरिए पणगं पत्तेयणंतबीएसु ॥ ४३ ॥ ॥ ४५ ॥ ॥ ४६॥ ॥४७॥ ૪૨ For Private And Personal Use Only
SR No.020963
Book TitleShastra Sandeshmala Part 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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