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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir || २४ ।। ।। २७ ॥ धाईउ पंचखीराइभेयओ चउलहुं तु तप्पिंडे। चउलहु दूईपिंडे सगाम-परगामभिण्णम्मि तिविहं निमित्तपिंडं तिकालभेएण तत्थ तीयम्मि । चउलहु अह चउगुरुयं अणागए वट्टमाणे य ॥२५॥ जाइ-कुल-सिप्प-गण-कम्मभेयओ पंचहा विणिदिट्ठो । आजीवणाइपिंडो पच्छित्तं तत्थ चउलहुया ॥ २६ ॥ चउलहु वणीमगपिंडे तिगिच्छपिडं दुहा भणन्ति जिणा। बायर-सुहुमं च तहा चउलहु बायरचिगिच्छाए सुहुमाए मासलहू चउलहुया कोह-माणपिंडेसु । मायाए मासगुरू चउगुरु तह लोभपिंडम्मि || २८॥ पुदि-पच्छासंथवमाहु दुहा पढममित्थ गुणथुणणे । मासलहु तत्थ बीयं संबंधे तत्थ चउलहुयं ॥ २९ ॥ विज्जा मंते चुण्णे जोगे चउसु वि लहेइ चउलहुयं । मूलं च मूलकम्मे उप्पायणदोसपच्छित्तं ॥ ३० ॥ संकियदोससमाणं आवज्जइ संकियम्मि पच्छित्तं । दुविहं मक्खियमुत्तं सच्चित्ताचित्तभेएणं ॥३१॥ भूदगवणमक्खियमिइ तिविहं सच्चित्तमक्खियं बिति । पुढवीमक्खियमित्थं चउव्विहं बिति गीयत्था ॥ ३२ ॥ ससरक्खमक्खियं तह सेडिय-ओसाइमक्खियं चेव । निम्मीस-मीसकद्दममक्खियमिइ पुढविमक्खियं चउहा ॥ ३३ ।। तत्थ कमेणं पणगं लहुमासो चउलहू य मासलहू। दगमक्खियं पि चउहा पच्छाकम्मं पुरोकम्म ससिणिद्धं उदउल्लं चउलहु चउलहु य पणग लहुमासा । वणमक्खियं तु दुविहं पत्तेयाणंतभेएणं ॥ ३४ ॥ ॥ ३५ ॥ ૪૧ For Private And Personal Use Only
SR No.020963
Book TitleShastra Sandeshmala Part 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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