SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 49
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ १२ ॥ ।। १३॥ ॥ १४ ॥ ॥ १५ ॥ ॥ १७ ॥ मासलहु पयडकरणे पगासकरणे य चउलहुं लहइ। अप्प-पर-दव्व-भावेहिं चउव्विहं कीयमाहंसु अप्पपरदव्वकीए सभावकीए य होइ चउलहुयं । परभावक्कीए पुण मासलहुं पावए समणो अह लोउत्तर-लोइयभेएणं दुविहमाहु पामिच्चं । लोउत्तरि मासलहू चउलहुयं लोइए हवइ परियट्टियं पि दुविहं लोउत्तर-लोइयप्पयारेहि। लोउत्तरि मासलहू चउलहुयं लोइए होइ अभिहडमुत्तुं दुविहं सगाम-परगामभेयओ तत्थ । चरमं सपच्चवायं अपच्चवायं च इय दुविहं सप्पच्चवायपरगामआहडे चउगुरुं लहइ साहू । निपच्चवायपरगामआहडे चउलहुं जाण मासलहू सग्गामाहडम्मि तिविहं च होइ उब्भिण्णं । जउ-छगणाइविलित्तु भिण्णं तह दद्दरुब्भिण्णं तह य कवाडुब्भिन्नं लहुमासो तत्थ दद्दरुब्भिन्ने । चउलहुयं सेसदुगे तिविहं मालोहडं तु भवे उक्किट्ठ-मज्झिम-जहण्णभेयओ तत्थ चउलहुक्किठे। लहुमासो य जहण्णे गुरुमासो मज्झिमे जाण सामि-प्पहु-तेणकए तिविहे विहु चउलहुं तु अच्छिज्जे । साहारण-चोल्लग-जड्डभेयओ तिविहमणिसिटुं तिविहे वि तत्थ चउलहु तत्तो अज्झोयरं वियणाहि। जावंतिय-जइ-पासंडिमीसभेएण तिविकप्पं मासलहु पढमभेए मासगुरुं जाण चरमभेयदुगे। इय उग्गमदोसाणं पायच्छित्तं मए वुत्तं ॥ १८ ॥ ॥१९॥ ॥ २० ॥ ॥ २१ ॥ ॥ २२॥ ॥ २३॥ ४० For Private And Personal Use Only
SR No.020963
Book TitleShastra Sandeshmala Part 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy