SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्तारिउण जलणम्मि खिवंति तुट्ठा, जो नत्थ हेउ तस्स जलं पि दिति ॥१२॥ ॥ ४ ॥ कविचक्रचक्रवर्ति पू.आ. श्रीजयशेखरसूरिविरचितम् ॥नवतत्त्वप्रकरणम् ॥ जीवाऽजीवा पुण्णं, पावासवसंवरो य निज्जरणा । बंधो मुक्खो य तहा, नवतत्ता हुंति नायव्वा ॥ १ ॥ चउदस चउदस बाया-लीसा बासीय हुंति बायाला । सत्तावण्णं बारस, चउ नव भेया कमेणेसिं ॥ २॥ सुहुमा बायर बेइं - दिया य तेइंदिया य चउरिंदी। असण्णी सण्णी खलु, चोद्दस पज्जत्तपज्जत्ता ॥ ३ ॥ धम्माधम्मागासा, दव्वा देसप्पएस तितिभेया। गइठिइअवगाहगुणा, कालो परिवत्तणारूवो पूरणगलणसहावो, खंधा देसप्पएसपरमाणू। पुग्गलकाओ चउहा, चउदस भेओ इय अजीवो सायं सुरनरतिरियाऊ, सुरनराणं गई य अणुपुव्वी ओरालविउव्वाहार-तेअकम्मइग पण देहा ॥६॥ आइतितणूणुवंगा, पणिदि सुहवण्णगंधरसफासा । संघयणवज्जरिसहं, समचउरंसं च संठाणं तस बायर थिर पत्तेय, पज्जआइज्जसुभगसुभसुसरं । जस तित्थंकर निम्माण, अगुरुलहु-आयवुज्जोयं परघा ऊसास सुभखगइ, उच्चं इय पुण्णतत्त बायाला। पावम्मि मइसुओही-मणपज्जव केवलावरणं ॥ ५ ॥ ॥७ ॥ ॥८ ॥ ॥ ९ ॥ ૧૨૮ For Private And Personal Use Only
SR No.020963
Book TitleShastra Sandeshmala Part 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy