SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 139
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org पच्चक्खमोहसेणाई जस्स न हु सीलरयणमवहरियं । तं सिवकुमरं कुमरं सिवसाहणुज्जयं नमहु भावजिणं छाओ छट्टाओ आयंबिलपारणेहिं जो उद्विओ । बारसवरिसे वररमणिरम्मपासाइवासेण अविचलियसुहाणो सण्णाणोमयणमूलसंठाणो । उत्तमगुणप्पहज्झणो सिवं सिवं कुणउ जयमाणो गुरुणो सुम्मसामिस्स पायमूलम्मि जेण पडिवण्णं । बंभवयं तरुणत्ते तस्स नमो जंबूसामिस्स धम्मोवएसवयणेहि चोरवइणो वि जेण पभवस्स । अवहरी अविवेओ तस्स नमो जंबूसामिस्स अट्ठति अट्ठ नियपणइणीइ धम्मम्मि ठाविया जेण । अच्चन्भूयगुणनिहिणो तस्स नमो जंबूसामिस्स जो माइपियामित्तो सयणे कण्णाइधणसमिद्धीओ । मुत्तूणं पव्वइओ तस्स नमो जंबूसामिस्स अटु च्चिय नहकुलबालियाउ केवलसिरी वि न पसत्ता । अण्णम्मि जओ पुरिसे तस्स नमो जंबूसामिस्स मणपरमोहप्पमुहो चेलाइत्तं व जेण सुहनिहणं । पत्ता भारहखित्ते तस्स नमो जंबूसामिस्स कुसलब्भासेण य तेण जेण जंबूभवम्मि परिचत्ता | अणुरत्ता अइभत्ता अट्ठ य कुलबालिया झत्ति सो जयउ जंबूनामो तरुणत्ते जेण पालियं सीलं । अटु कलत्तय नवनवइ कणयकोडींउ परिहरिडं सो जयउ जंबूनामो सुगहियकामो निरुद्धमारामो । निम्महियकामकामो केवललच्छीय अभिरामो 930 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only ॥ ८ ॥ ॥ ९ ॥ 1120 11 ॥ ११ ॥ ॥ १२ ॥ ॥ १३ ॥ ॥ १४ ॥ ॥ १५ ॥ ॥ १६ ॥ ॥ १७ ॥ ॥ १८ ॥ ॥ १९ ॥
SR No.020962
Book TitleShastra Sandeshmala Part 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy