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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ॥ गुरुमहात्म्यं कुलकम् ॥ (गुरुतत्त्वविनिश्चयः) गुरुआणाए मुक्खो, गुरुप्पसाया उ अट्टसिद्धिओ । गुरुभत्तीए विज्जा साफल्लं होइ णियमेणं Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सरणं भव्वजिआणं संसाराडवि महाकडिल्लम्मि । मुत्तुण गुरुं अण्णो णत्थि ण होही ण विय हुत्था जह कारुणिओ विज्जो देइ समाहिं जणाण जरिआणं । तह भवजरगहिआणं धम्मसमाहिं गुरू देइ जह दीवो अप्पाणं परं च दीवेइ दित्तिगुणजोगा । तह रयणत्तयजोगा गुरु वि मोहंधयारहरो जे किर एसि पाविट्ठा दुट्ठधिट्ठनिलज्जा । गुरुहत्थालंबेणं संपत्ता ते विय परमपर्यं उज्झियघरवासाण विजं किर कटुस्स णत्थि साफल्लं । तं गुरुभत्तीए च्चिय कोडिण्णाइण व हविज्ज दुहब्धि मोहब्भे वेगे संठिया जण बहवे । गुरुपरतंताण हवे हंदि तयं नाणगब्धं तु अम्हारिसा वि मुक्खा पंतीए पंडिआण पविसंति । अणं गुरुभत्तीए कि विलसिअमब्भुअं इत्तो ? सक्कावि णेव सक्का गुरुगुणगणकित्तणं करेठं जे। भत्ती पेलिआणं वि अण्णेसि तत्थ का सत्ती ? इत्तो गुरुकुलवासो पढमायारो णिदंसिओ समए । उवएसरहस्साइसु एयं च विवेइयं बहुसो ૧૩૧ For Private And Personal Use Only ॥ १ ॥ ॥ २ ॥ ॥ ३ ॥ 11 8 11 114 11 ॥ ६ ॥ || 99 || 11 2 11 ॥ ९॥ ॥ १० ॥
SR No.020962
Book TitleShastra Sandeshmala Part 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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