SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥९॥ ॥१०॥ ॥ ११ ॥ ॥१२॥ ॥१३ ।। ॥ १४॥ सिरिपुंडरीयपमुहो दुप्पसहो जाव चउविहो संघो। भणिओ जिणेहि जम्हा न हु तेण विणा इवइ तित्थं न विणा तित्थं नियंठेहिं नातित्था य नियंठया। छक्कायसंजमो जाव ताव अणुसज्जणा दोण्हं तम्हा आयरिया वि हु संति नत्थि त्ति जे वियारंति । तं मिच्छा जओ जणे ते च्चिय सुत्तत्थदायारो बहुमुंडे अप्पसमणे य इय वयणाओ य संति आयरिया । जेसि पसाया सङ्घा धम्माधम्मं वियाणंति । जह दिणरति सम्म मिच्छं पुण्णं तहेव पावं च । तह चेव सुगुरु कुगुरु मण्णह मा कुणह मय(इ)मोहं चरणस्स नव य ठाणा इह य पमत्तापमत्तअहिगारो । तत्थ अपमत्तविसयं कह लम्बेइ इत्थ एगविहं होइ पमत्तम्मि मुणी चउक्कसायाण तिव्वउदयम्मि । स पमत्तो तेसि चिय अपमत्तो होइ मंदुदए पमत्ते नोकसायाण उदएणं इत्थ चरणजुत्तो वि । अट्टल्झाणोवगओ तेण विणा होइ अपमत्ते नाणंतरायकम्मं लम्बेइ तिविहं पमत्त-अपमत्ते । बीयं छच्चउ पण नव-भेएहि बंधुदयसंते तेरिकारस जोगा हेउणो पुण हवंति छ चउवीसा। लेसाओ छच्च तिण्णे य हुंति पमत्तापमत्तेसु अविरय विरयाविरएसु सहसपुहत्तं हवंति आगरिसा । विरए य सयपुहुत्तं लब्धेति पमायवसगेण ठिइठाणे ठिइठाणे कसायउदया असंखलोगसमा । अणुभागबंधठाणा इय इक्विक्के कसाउदए ॥ १५ ॥ ॥ १५ ॥ ॥ १६ ॥ ॥ १७॥ ॥ १९ ॥ ॥ २० ॥ ૧૧૯ For Private And Personal Use Only
SR No.020962
Book TitleShastra Sandeshmala Part 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy