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________________ Shahawan Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kalassagersun Gyarmandie उदेशा IKEN परिकमियब्वं जाया! अस्सि च णं अट्ठे णो पमायेतब्वंतिकटु जमालिस्स खत्तियकुमारस्स अम्मापियरो समण व्याख्या- दाभगवं महावीरं वंदहणमंसह वंदित्ता णमंसित्ता जामेव दिसं पाउम्भूया तामेव दिसि पडिगया / तए णं से ज मालिखत्तियए सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति 2 जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छह तेणेव उवाग4६॥ |च्छित्ता एवं जहा उसभवत्तो तहेव पब्वहओ नवरं पंचहिं पुरिससएहिं सद्धिं तहेव जाव सव्वं सामाइयमाझ्याई | एकारस अंगाई अहिज्जह सामाइयमा० अहिजेत्ता बहहिं चउथहमजावमासद्धमासखमणेहिं विचित्तोहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरह // (सूत्रं 385) // त्यारे श्रमण भगवंत महावीरे ते जमालि क्षत्रियकुमारने आ प्रमाणे कडु के-'हे देवानुप्रिय ! जेम सुख उपजे तेम करो, प्रतिवन्ध न करों'. ज्यारे श्रमण भगवान महावीरे जमालि क्षत्रियकुमारने ए प्रमाणे कह्युस्यारे ते हर्षित धइ, तुष्ट थइ, यावत् श्रमण भगलावंत महावीरने प्रण वार प्रदक्षिणा करी यावत् नमस्कार करी, उत्तरपूर्व दिशा तरफ जाय हे, जइने पोतानी मेळे आभरण, माला अने अलंकार उतारे छे. पछी ते जमालि क्षत्रियकुमारनी माता हंसना चिहवाळा पटशाटकथी आभरण, माला अने अलंकारोने ग्रहण करे के. ग्रहण करीने हार अने पाणीनी धारा जेवा आंसु पाडती 2 तेथे पोताना पुत्र जमालिन आ प्रमाणे कधुके-'हे पुत्र ! संयमने विषे प्रयत्न करजे, हे पुत्र ! यत्न करजे, हे पुत्र! पराक्रम करजे, संयम पाळवामां प्रमाद न करीश. ए प्रमाणे (कहीने) ते जमालि क्षत्रियकुमारना माता-पिता श्रमण भगवंत महावीरने वांदे , नमे थे; बांदी अने नमीने जे दिशाथी तेओ आव्या हता ते दिशाए | पाछा गया. त्यारपछी ते जमालि क्षत्रियकुमार पोतानी मेळे पंच मुष्टिक लोच करे छे, करीने ज्यां श्रमण भगवान् महावीर छे त्यां RRRRRRRRRRR For Private and Personal Use Only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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