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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmande 9 शतक - उमेशा 18674 867 // आवे छे, आवीने ऋषभदत्त ब्राह्मणनी पेठे तेणे प्रत्रज्या लीधी. परन्तु जमालि क्षत्रियकुमारे पांचसो पुरुषो साथे मत्रज्या लीधी-इत्यादि सर्व जाणवू. यावत् ते जमालि अनगार सामायिकादि अगीआर अंगोने भणे छे. भणीने घणा चतुर्थ भक्त, छट्ट, छडम, अने यावत् मासार्ध तथा मासक्षमणरूप विचित्र तपकर्मचडे आत्माने भावित करता विहरे छे. / / 385 // तएणं से जमाली अणगारे अन्नया कयाई जेणेव समण भगवं महावीरे तेणेव उवागाछह तेणेव उवागच्छ इत्ता समर्ण भगवं महावीरं वंदति नमसति वंदित्ता 2 एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुझेहिं अन्भणुनाए ममाणे पंचहि अणगारसएहिं सद्धिं बहियो जणवयविहारं विहरित्तए, ताणं से समणे भगवं महावीरे जमालिस्स अणगारस्स एयमझु णो आढाइ णो परिजाणाह तुसिणीए संचिट्ठइ। तए णं से जमाली अणगारे ममण भगवं महावीरं दोचंपि तचंपि एवं बयासी-इच्छामिण भंते ! तुज्झहिं अन्भणुन्नाए समाणे पंचहिं अणगारसएहिं सद्धि जाब विहरित्तए, ताण समणे भगवं महावीरे जमालिस्स अणगारस्स दोचंपि तचंपि एयम8 णो आढाइ जाव तुसिणीए मंचिट्ठद / तए णं से जमाली अणगारे समण भगवं महावीरं वंदह णमंसद बंदित्ता णमंसित्ता समणस्म भगवओ महावीरस्स अंतियाओ बहुसालाओ चेहयाओ पडिनिक्वमह पडिनिक्खमित्ता पंचहि अणगारसहि सद्धिं बहिया जणवयविहारं बिहरह, त्यार वाद अन्य कोई दिवसे ते जमालि अनगार ज्यां श्रमण भगवान महावीर छे त्यां आवे छे. आवीने श्रमण भगवंत महावीरने वांदे छे, नमे छे. बांदी अने नमीने तेणे आ प्रमाणे कयु के-'हे भगवन् ! तमारी अनुमतिथी हुं पांचसे अनगारनी साथे| * For Private and Personal Use Only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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