SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १३३ ). - राजपाम्यो चोसठहजार राजपुत्री तथा एकलाख श्ठावीसहजार कन्या मंत्री प्रधान प्रमुख मल्या १९२००० स्त्री परणी सुखेराजपाले एकदा इंद्रे रूपवखाण्यो तेजोवा वेदेवता विप्रनरूपधरी कचे रीमा हावी राजानूं रूपजोई माथो धुणवालाग्या तारे राजाये पूग्रो हेविन! माथो केमधुण्यो तारे देवताये पोतानं रूप प्रकटी कह्यों जरूपतम्हारो सवारेहतं तेहमणानथीकारणजेअहंकारतम्हेकीधी तेथीरूप पालटीग; तेवेदना करस्ये चक्रीयेविचा यो सर्वबते रोगादिवेदना वाकाल रोकाशे नही एमाटे संसार असारजे इम वैरागपामी राजनार पुत्रने सोंपी पोते विजयधर्म सूरीपासे दीवालई विहारकस्यो स्त्रीओ परिवार कटकप्रमुख मास सुधी पाबेफस्योपण पाबोनवस्यो बहछठेनो पारण करता विचरेरोगनी दवानो पचखाणलीधो तेथी रोगघणा वधीगया एहवामां इंद्रने प्रशंसा कयां थी बेदेवता वैद्यनारूपे वोल्या तम्हेकहो शम्हे रोग मिटायीदेई राजाये कह्यो जमुने जरामरण रोग बेते तम्हेदूरकरोतारे तेणेकह्यो एरोगशम्हे मिटावी सकतानथी तम्हाराशरीरना रोगमिटावीये तारे मुनिये पोतानी अांगलीमा पोषदलगान्यो आंग लीसोनाजेवी थई तारे कह्यो ए सामरथ मुफनेबे पण हमणा मिठावीये तोफरीनोगयो पळशे तेह मणाज नोगीलेबो देवताये निश्चलजाणी देवलोके -
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy