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________________ ( १३२ ) - चवीरत्नपुरनेविषे वेपारियानो बटोथयो धर्मपाली कालकरी अनुक्रमे रत्नपुरनाराजानो जिनधर्मानामे प्रधानथयो बारव्रतधारी ग्यारपडिमाकारी राजा नोवल्लनथयो पूर्वभवे जेनीस्त्री बलात्कारेलीधी हुती तेनागदतनो जीव अनेकभवभ्रमतां एकतापस थई रत्नपुरेआब्यो अनेकप्रकारे अज्ञान तपस्याकरे तेथी मूर्खलोकसबै राजासीखे वांदवाजाय पण प्रधान न जाय तेतापसे जाणी पर्वभवना वैरनायोगे क्रोधे प्रधानऊपर रीसराखी एकदातापसने मासक्षपणने पारणे राजायेनोतस्यो राजाने घर जमवा आव्यो तिहां आबीहठकीधो जेप्रधानने पूठपर थालीरा खी जमावा तोपारणकरूं तेसांमली चिंतातुरथई प्रधाननाकह्यांथी स्वीकार करी प्रधाननी पूठपर थालीराखी कडकडती दीरजखाधी प्रधानने महा वेदनाथई पणक्षमायें परीसहसह्यो थारी उखेली तोमांसलई उठी तेथी वेदनाथई वैरागपामी दीक्षा लीधीने शुभध्याने कालकरी पेलेदेयलोके इंद्रमह द्धिकथयो बेसागरोपम आऊखे वत्तीसलाख विमा ननोस्वामीथयो तापसमरीने इंद्रनो ऐरावतहाथी थयो तिहांथी चवी घणा भवभमी कैलासपर्वते य सिताद यथयो तिहांथी चवी हस्तिनागपुरना राजा शश्वसेननी राणीनी कुंखेऊपनो राणीये चौद सुपनादीठा शुननदात्रे जन्म्यो सनत्कुमार नामदी धो योवनपाम्या चौदरत्न नवनिधान बखंफनो
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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