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________________ फरीगया, सनत्कुमारमुनि चारित्रपाली त्रीजेदेव लोके देवथया ॥ ४ ॥ ॥ पांचमांचक्री श्रीशांतिनाथनी कथा, हस्तिनाग पुरे विश्वसेन राजा तेनी अचलाराणीने कंखे पांच मांचक्रीने सोलमातीर्थंकर ऊपना माममां मिरगी नो उपद्रव घणोहतो तेगनना प्रत्नावथी शांतथयो तेथी मातापिताने सर्वलोके शांतिकुमरनामदीधो यौवनपामी चक्रवतीनी सर्वऋछिमली अंतेवरसी दानदेई दीवालीधी केवलपाम्या तीर्थंकरपद नो गवी सर्वशायु एकलाख वर्षपाली समेत शिखरे अणसणकरी मोक्षेपौता ॥ ५॥ ॥ बठाचक्रीने सतरमा तीर्थंकरनी कथा, हस्तिना पुरे इक्ष्वाकुवंशी सूरराजानी श्रीदेवीराणीनेकखें श्रीकंथुनाथ जन्म्या तेशांतिनाथनी परें चक्रीपद तथा तीर्थंकरपद एबहं एकभवमा भोगवी९२७५० वर्ष शायुपाली मोगया ॥६॥ सातमां चक्रीने अठारमा तीर्थंकरनी कथा, हस्ति. नापुरे सुदर्शन राजानीदेवी राणीनेकुंखें शरनाथ जन्म्या तेशांतिनाथनीपरे चक्रीपद तथातीर्थ कर पद नोगवी८४०००वर्ष शयुपाली मोोपींच्या७ नवमांचकी महापद्मनी कथा, हस्तिनापुरे पन्नोत्त र राजानी ताराराणीने कूखे नवमांचक्री ऊपनातेनं नाम महापन योवनपाम्या सर्वचक्रवर्तिनी ऋछि पामी सुखेराजपाले तेनापासे नचिनामे प्रधान - - -
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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