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________________ ( १२८ ) चित्रसंभूतनी कथा, साकेतपुरनो राजा चंद्राव तंसक तेनो कुमर मुनिचंद्र तणे वैरागपामी दीक्षा लीधी विहारकरतां रस्तो अटवीमांभूलो तिहांचार ग्वालीयें मुनीनी चाकरीकरी पमुनिये धर्मप माम्यो दीकालीची तेमाबेजणें हरिकेशीनी परें दुगंछाकरी नीच गोत्र बांध्यो तिहांथी चवी देवताथया तिहांथीचवी एकविप्रना घरे जोडला अवस्था तिहांकर्मयोगे बेहुने सर्पडस्यो तेथीमरी बेजणा मृगधया तिहांकर्मयोगे पारधीमाया ति हांथी चवी बेजणा वगारसीनगरीये मातंगना घरे अत्रतस्था चित्र तथा संभूतनामे बेभाईथया तिहां धर्मपामी दीक्षालीधी घणा तपतप्या तेमां संभूते चक्रीनो निशाणो बांध्यो ते ब्रह्मदत्तनामे बारमो चक्रीथयो चित्रनो जीव देवपणो भोगीने उत्तम कुल ऊपनो चित्रतिनामथयो वैरागपामी दीक्षा लोधी ज्ञानपामी पूर्वभवनो भाईजाण ब्रह्मदत्तने समऊवा आव्यो पण नथी समको तेमरी नरके गयो चित्रभूति मोगया ॥ १ ॥ " ॥ अथ चउदमां अध्ययननी कथा ॥ चित्रसंभूतना पूर्वजवना बेमित्र गोवालियाना जवना तिहांथीचवी देवथया तिहांथीचवी क्षिति प्रतिष्ठितनगरमां उत्तमकुले बेजाईथया तिहां बी जाचार विवहारिया साथै प्रीतथई बजणे दीक्षा लीधी चारित्रपाली बयेजणा पहिले देवलोके देव
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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