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________________ ( १२९ ) . ताथया मित्रपणे पवे तेचार जगमांथी एकइषुकार राजाथयों वीजोमित्र तेनी कमलावती राणीथई त्री जोमित्र तेराजानो भृगुनामे पुरोहितथयो चोथो मित्र पुरोहितनी यज्ञानामे जार्याथई नेबेभित्र जे ग्वालिया तेनो जीव ते नृगुनापुत्र पणे जोडला थया अनुक्रमें क्रूजणाये दीक्षालेई मोकृपाम्या ॥ १ ॥ ॥ थठारमां अध्ययननीकथा ॥ श्रीभरतचक्री एकदा प्रस्तावे आरीसा जवनमां सणगारसजी बेठा तारे एक आंगली मांथी अंगूठी उतारी जोईतो छांगली खराबनजरणावी तेथी सर्व आभूषण उतारी जोवतां शरीरखराब देख्यो तेथी वैरागपामी अनित्यभावना जावतां केवललह्यो शा सन देवताये मुनीनो वेश छाप्यो दशलाख पूर्व केवल पर्यायपाली घणाजीवने प्रतिबोधदेई ते अष्टापद ऊपर एकमासनी संलेखणा करी मोक्ष पाम्या ए प्रथम चक्रवर्तीथया ॥ १ ॥ ॥ वीजो चक्रवर्ती सगरनामां तेनीकथा, योध्या नगरीमा जितशत्रुनामाराजा राजकरे तेनी विज याराणीनी कूखे श्री अजितनाथ तीर्थं करजन्म्या तेनो लघुनाई सुमित्रविजय तेनीराणी जसोमती तेनीकूखे बीजाची सगरनामे जन्म्या चौसठहजा र राजकन्या परण्यो चउदरत्न नवनिधान पाम्यो छखंड पृथिवी जीत्यो सुखेचक्रवर्तीपद जोगे पण कोई स्त्रीने संताननही तारे हरिणेगमेषी देवताने
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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