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________________ ( १२१ ). D तेणेकह्यो जेविद्यापर मेहनत कोणकरे शाकामघट आपो जेमतुरत सुखउपजे तेसिह घटापी चा लीगयो देवदत्त मनमा अति खुशीथयो एकदिने मदिरा पीईने छाकटोथयो घटने मांथाऊपर लेई नाच्यो तेघठपकी फूटीगयो छाकउतारी जोयो जे घटना कटकाथई गया तारे रोईरोई पबताबा ला गो जेमैं विद्यासीखीहती तो बीजोघट मंत्री लेतो हवे ते सिछपुरुष किहां मलसे एमजेपुरुष धर्मपा मी छोडसे तेदेवदत्तनी परे पबतावसे ॥ १ ॥ __ शतिमीठा आहार दुखदायक तेजपर दृष्टांत, एकदात्री रोज गायदुही बकराने दूधपावे ने बा बराने सूखोघास आपे एकदिने बाबडायें पोतानी माने कह्यो जेतारूं दूध मुऊन आपेनही एनं का रण सूंछे तारे मायें कह्यो शापणे सूखोघास सा रो दूध दुखदायकले एहवामां एकदिने पाहुणो आव्यो तारे तेबकराने तेने खबराव्यो तारेगाये बा कडाने कह्यो जेदेख्या पुत्र ! जेप्राणी रसना ला लच रहसे तेपरमादी परवशपडी बकरानी परे ढखपामसे ॥ १ ॥ ॥ रत्न जेहवो नरन्नव केमहारोबो तेऊपर दृष्टांत, एकलोनी वाणियो परदेशथी १००० सोना मोहर कमाई साथनान्नेलो पोताना गामे शाघता रस्ता मां कोई गामडे रात्रेरह्यो सीधो सामानलीधो ते पासे हिसाबमां ११५ कोडीलेणी रहीहसे तेलेवाने - - -
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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