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________________ खूटी रहयो साथना जातारहता एकलो रहयो तेथी लुटाईगयो घणोदुखीथयो धनगयाथी घेलोथयो नवखोयो तेमवृथा नवखोवो नही ॥१॥ जिन राजनी शिदानमाने तेदुखीथाय तेऊपर दृष्टांत, कोई एकराजाने या खावानी प्रेमघणो तथी रोगऊपनो केप्रोप्रकारे मिटेनही एकमोटा बैद्यमिटाव्यो पणएकहनो जेसाज पडे आंबो खा सो मा नेखासो तो मरशो केटलाक दिनगया पबे राजायें बाखादा रोगथयो मरण पाम्यो ॥१॥ लाभे लोनघणो वधे तेऊपर कपिलमुनीनीकथा, कौशांबी नगरीना जितशत्रु राजानो पुरोहित क क्यपनामे मरणपाम्यो तारे बोकरो कपिल पांच वर्षनो हंतो ते मोटोथयो तारे मातानी रजालेई परगामे कोई पंफितपासे नणयागयो घणाशास्त्र भण्यो पण तिहां एकनीचस्त्रीसाथे लंपठथयो तथी खरचबध्यो तारे विचास्यो इहांनो राजा मासोमा सो सोनूंरोज शापे तेप्रभाते लावीस एमचिंता मां सूतो ऊंघशायीने मध्यरात्रे ऊठो प्रजातजाणी तलावन्हावा चाल्यो रस्तामां सिपाहीयें चोरजा णी पकी बंदीखाने नाख्यो प्रनाते राजा पासे ऊनोराख्यो राजाये पबेथी सांचीबात मल थकी मांझी कही राजा तुष्टमानथयो जेमांगमांग मांगे तेापं तारे बिचारवालाग्यो जे केटलामागं एक लाखमांगु तेथीस्थुथाय एमघ्नाबधी राज आखो ।
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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