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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विद्याकुर NamRNA BARA N काम निकलते हैं। उन पर सवार होते हे बोझा लादते हैं। उनका गोश्त खाया जाता है। और चमड़ा आढ़ने बिछाने के सिवाय और भी बहुत कामों में आता है ॥ ज़मीन के जानवरों में हाथी के बगबर ऊंचा और शेर के बराबर जोगवर कोई नहीं होता है। पर अकल के लिये प्रादमी सब से बड़ा गिना जाता है ॥ जानवरों को अकल नहीं होती इतना ही बनमानस समझते हैं कि जिस में अपनी ज़रूरी इतियाजें मिटाले । और दुशमन से डरकर बचे रहें । इसी को पशु बुद्धि कहते हैं उन की अकल और समझ आदमी की सी नहीं होती जिस से अपने या किसी दसरे के लिये सोच समझ कर नयी नयी आराम को दोर्जे बनावें । या किसी चीज़ की खोज और जांच से कुछ फ़ायदा उठावें । देखा आदमी ने धुएं की नाव और धुएं की गाड़ी और तार और घड़ो और तोप केसी केसी काम की चीजें बनायी हैं। और फिर केसी केसी किताबें लिखी हैं और छापी हैं ॥ कि जिन से हजारों बरस पहले का हाल जाना जाता है। और जो कुछ ज़मीन और आसमान में हे सब का भेद खुल जाता है | आदमी अपनी अकल के जोर से मेह पानी जाड़े पाले का बचाव कर सकता है। इसी लिये उस के मालिक पैदा करनेवाले For Private and Personal Use Only
SR No.020894
Book TitleVidyankur
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaja Shivprasad
PublisherRaja Shivprasad
Publication Year1886
Total Pages89
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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