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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १०२ ) वसंतराजशाकुने- सप्तमो वर्गः । मंत्रः ॥ ॐ नमो भगवति पोदकि कृष्णशकुनि श्वेतपक्षिणि पांडवोपकारिणि पांथोभयतटप्रचारिणं वृक्षगुल्मलतावासिनि सर्वांगसुंदरि सर्वकार्यासाधिनं देवि दिव्यमूर्तिधरे सत्यवादिनि आगच्छ आगच्छ । मम चिंतितं कार्यं सत्यं ब्रूहि ब्रूहि ॐ ह्रींफट्स्वाहा ॥ ॐ ह्रीं प्रजापतये स्वाहा ॥ अयं मंत्रः । ज्ञान मुद्रयैकमंकितं करं पुस्तकेन चिह्नितं तथापरम् ॥ बिभ्रतीं हिमदुकुंददीधितिं पंकजासनां स्मरेत्सरस्वतीम् ॥ ॥ १९ ॥ ततो गृहीत्वा खटिकां स्वकार्य शिलातले तत्र शुभे विलिख्य || सिध्यत्विदं मे भगवत्यविघ्नादुत्क्वति देव्यै विनिवेदनीयम् ॥ २० ॥ ॥ टीका ॥ पकारिणि पांथोभयतटप्रचारिणि वृक्षगुल्मलतावासिनि सर्वागसुंदरि सर्वकार्यसा धिनि देवि दिव्यमूर्तिधरे सत्यवादिन्यागच्छ आगच्छ मम चितितं कार्यं सत्यं ब्रूहि ब्रूहि ॐ ह्रीं फट् स्वाहा ॐ ह्रीं प्रजापतये स्वाहा ॥ १८ ॥ ज्ञानति ॥ पूर्वमेव व्याख्यातम् ॥ १९ ॥ तत इति ॥ ततः तदनंतर इति देव्यै विनिवेदनीयं किं कृत्वा इत्युक्का इतीति किं हे भगवति ममेदं कार्यमविनात्सिध्यतु । किं कृत्वा खटिकां गृहीत्वा तत्र तस्मिञ्छुभे शिलातले स्वकार्यं विलिख्य लिखित्वा ॥ २० ॥ ॥ भाषा ॥ नमें सूर्य पश्चिममें जॉय जबसूं करें अर्थात् रात्रिमें संपूर्ण करें | मंत्र || ॐ नमो भगवति पोदकि कृष्णशकुनि श्वेतपक्षिणि पांडवोपकारिणि पांथोभयतटप्रचारिणि वृक्षगुल्मलताबा सिनि सर्वागसुंदरि सर्वकार्यार्थसाधिनि देवि दिव्यमूर्तिधरे सत्यवादिनि आगच्छ आगच्छ मम चिंतित कार्य सत्यं ब्रूहिब्रूहि ॐ ह्रीं फट् स्वाहा ॐ ह्रीं प्रजापतये स्वाहा || इस मंत्र का उच्चारण करे ॥ १८ ॥ एक हाथमें ज्ञानमुद्रा दूसरे हाथ में पुस्तक धारण करें चंद्रमा और कुंदके पुष्पकीसी कांति धारण करें और कमलासनमें स्थित ऐसी सरस्वती ताय स्मरण करें ॥ १९ ॥ तत इति ॥ खडियासूं 'शिलाके तले अपनो कार्य लिख करके उनके अगाडी है भगवति मेरो कार्य निर्वित्रपूर्वक सिद्ध होय, ऐसे कहकर के देवीके अर्थ अपनी कार्य निवेदन For Private And Personal Use Only
SR No.020879
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1828
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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