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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तत्त्वनिर्णयप्रासाद ॥ मालिनी ॥ ध्वजपटकृत कीर्त्तिस्फूर्त्तिदीप्यद्विमान । प्रसृमरबहुवे गत्यक्तसर्वोपमान ॥ इह जिनपतिपूजासंनिधौ मातरिश्व न्नपनयसमुदायं मध्यवाह्यातपानाम् ॥ १ ॥ “ ॥ ॐ वायो ईह० शेषं पूर्ववत् ॥” इति वायुपूजनम् ॥ ६ ॥ ॥ वसंततिलका ॥ कैलासवास विलसत्कमलाविलास | संशुद्धहासकृतदौस्थ्यकथानिरास ॥ श्रीमत्कुवेरभगवत्स्नपनेत्र सर्व । विघ्नं विनाशय शुभाशय शीघ्रमेव ॥ १ ॥ 66 “ ॥ ॐ कुबेर इह ० शेषं पूर्ववत् ॥ " इति कुबेरपूजनम् ॥ ७ ॥ ॥ वसंततिलका ॥ गंगातरंगपरिखेलनकीर्णवारि प्रोद्यत्कपर्छ परिमंडितपार्श्वदेशम् ॥ नित्यं जिनस्नपनहृष्टहृदः स्मरारे विघ्नं निहंतु सकलस्य जगत्रयस्य १ " ॥ ॐ ईशान इह० शेषं पूर्ववत् ॥ " इतीशानपूजनम् ॥ ८ ॥ ॥ वृत्तपाठः ॥ फणमणिमहसा विभासमानाः । कृतयमुनाजलसंश्रयोपमानाः ॥ फणिन इह जिनाभिषेककाले। बलिभवनादमृतंसमानयंतु ॥ १ ॥ ॥ ॐ नागा इह० शेषं पूर्ववत् ॥ " इति नागपूजनम् ॥ १ ॥ ॥ द्रुतविलंबितपाठः ॥ विशदपुस्तकशस्तकरद्वयः । प्रथितवेदतया प्रमप्रदः ॥ भगवतः स्नपनावसरे चिरं । हरतु विनभरं द्रुहिणो विभुः ॥१॥ “ ॥ ॐ ब्रह्मन् इह० शेषं पूर्ववत ॥” इति ब्रह्मणः पूजनम् ॥ १० ॥ << ८८ For Private And Personal
SR No.020811
Book TitleTattva Nirnayprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVallabhvijay
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages863
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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