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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ૨૦ तत्वनिर्णयप्रासाद१०-अग्निकी प्रेरणासें शुनःशेपने विश्वेदेवताकी स्तुति करी. ८ ऋ०-उखल मूसलकी स्तुति है, क्योंकि, उखल मूसल सोमको कूटके इंद्रके पीने योग्य रस काढते हैं. १ ऋ०-ऋत्विविशेष हे हरिश्चंद्र देवता! पक्षे हे हरिश्चंद्र! तूं सोमको गाडीऊपर लाद दे. २२ ऋ०-विश्वेदेवोंकी प्रेरणासें शुनःशेपने इंद्रकी स्तुति करी. हे इंद्र! हमकों गालीयां देनेवाले हमारे शत्रुयांकों तूं मार इत्यादि. १ ऋ०-इंद्रने तुष्टमान होके शुनःशेपकों हिरण्यरथ दिया. ३ ऋ०-इंद्रकी प्रेरणासें शुनःशेपने इंद्रके घोडोंकी स्तुति करी. ३ ऋ०-इंद्रके घोडोंकी प्रेरणासे शुनःशेपने उषःकालाभिमानिनी देवताकी स्तुति करी. ॥ऋ० अ०१ मं० १ अ०७॥ १८ ऋ०-अग्निकी स्तुति, अग्निके कर्तव्य, हे अग्ने! नहुषनामा राजाका तूने सेनापतिपणा करा; किसी लडकी छोकरीका तूं उपदेशक था, इत्यादि. १५ ऋ०-इंद्रके पराक्रमोंका वर्णन, मेघकों मारा, जलकों भूमिमें गेरा, पर्वतांकों तोडके नदीओंकों ले आया, अनेक असुरांकों मारे, वृत्रनामा असुरने मेघकों रोक रक्खा था तिसकों इंद्रने मारा-इत्यादि. १५ ऋ०-पणिनामा असुर देवताओकी गौआंकों हरके ले गया, देवताओंने परस्पर सलाह करके इंद्रके पास पुकार करा ; इंद्र गौआंकों ले आया, वृत्रके अनुचरोंकों मारा, मेघ वर्षाया, दैत्य मारे, कुत्सनामा - षिकी रक्षा करी, दशा ऋषिकी रक्षा करी, शत्रुओंके भयसें जलमें मग्न हुआ, इंद्रके अनुग्रहसे बहार निकला, और उसकी रक्षा करी-इत्यादि. ___१२ ऋ०-अश्विनीकुमारोंका सामर्थ्य, उनोंकी प्रार्थना, रथके गर्दभोंका वर्णन, और यज्ञमें आमंत्रणादि. ___ ११ ऋ०-सूर्यका वर्णन, सूर्य बहुत देशोंसें आता है, सूर्यके रथका वर्णन, सूर्यके घोडोंका वर्णन, सोश्यावीनामा घोडा सूर्यका रथ वहता है, लोक स्वर्गोपलक्षित तीन है, दो लोक सूर्यके समीप होनेसें सूर्य उनकों For Private And Personal
SR No.020811
Book TitleTattva Nirnayprasad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVallabhvijay
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages863
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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