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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 410 स्वतंत्रता संग्राम में जैन जानवरों को कत्ल करने में धर्म न मानें, अगर कोई हमारे सामने झूठ बोलता है तो हम झुंझला उठते हैं, तो हमारा फर्ज है कि हम कभी झूठ न बोलें। वगैरह-वगैरह। अगर कोई हमारी चोरी करता है, तो हमें बहुत रंज होता है, तो हमारा फर्ज है कि हम खुद चोरी न करें। दुश्मनी कभी पापी इन्सान न करो लेकिन उसके पाप से करो। उस पर दया भाव रखकर उसको समझाओ और अच्छे रास्ते पर लाकर उसके पाप को धो डालो। दूसरे की माता - बहन को अपनी माता - बहन समझो जरूरत से ज्यादा सामान अपने पास मत इकट्ठा करो, गरीब की इमदाद करो, वगैरह-वगैरह। www.kobatirth.org भगवान् महावीर का उपदेश कितना आला और सुन्दर था । उसका जिक्र करते हुए प्रसिद्ध कवि फरवे कौम रवीन्द्र नाथ टैगोर कहते हैं कि - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Mahavir proclaimed in India the message of salvation; that religion is a reality and not a mere social convention, that salvation comes from taking refuge in that true religion and not observing that external ceremonies of the community; that religion can not regard any barrier between man and man as an external verity, wonderous to relate, this leading rapidly overtopped the barrier of the races abiding instinct, conquered the influence of kshtriya period, now the infleunce of kshtriya teachers completely suppressed the Brahmin power. भगवान् महावीर ने भारतवर्ष को बा-आवाज बुलन्द मोक्ष का संदेश सुनाया। उन्होंने कहा कि धर्म सिर्फ सामाजिक कराजात में नहीं है बल्कि दर हकीकत सच्चाई है। मोक्ष सिर्फ सामाजिक बाहरी क्रिया कांड से नहीं मिल सकता, लेकिन सच्चे धर्म के स्वरूप का सहारा लेने से मिलता है। धर्म के आगे इन्सान और इन्सान के दरमियान रहने वाले भेदभाव भी खड़े नहीं रह सकते। कहते हुए हैरानी होती है कि महावीर की इस तालीम ने समाज के दिलों पर काबू पा लिया और पहले के खराब संस्कारों से बने हुए भावताब को बहुत जल्द नेस्तनाबूद कर दिया और सारे मुल्क को अपने मती कर लिया। 44 भगवान् महावीर ने जहां हिंसा को बन्द किया वहां मजहबी इखतलाफात को भी दूर कर स्याद्वाद का उपदेश दिया और कहा कि सत्य अनन्त हैं इसलिए हर एक सिद्धान्त में कुछ न कुछ सच्चाई है, उसको स्याद्वाद की कसौटी पर परखो। साधू टी०एल० वासवानी कहते हैं 'अनेकान्त - स्याद्वाद में महावीर ने सिखाया है कि दुनिया का कोई भी एक सिद्धान्त सच्चाई को पूरा-पूरा बयान नहीं कर सकता; क्योंकि सत्य अनन्त हैं हमने अभी कुछ मिसालों में धर्म के नाम से बहस मुवाहिसे और नफरत की वजह से आज तक तकलीफें उठाई हैं। महावीर की वाणी नौजवान लोग सुनें और उनकी हमदर्दी और बराबरी का संदेश गांव-गांव और शहर शहर ले जायें, अलहदा - अलहदा धर्मों के भेदों और झगड़ों का तसफिया करके वह आध्यात्मिक जीवन के बारे में नई देशभक्ति, नये राष्ट्रीय जीवन को पैदा करें, क्योंकि सत्य इन्तहा (अनन्त) है और धर्म का उद्देश्य फूट और झगड़ा करने का नहीं बल्कि उदारता और प्रेम का पाठ पढ़ाना है ।। " भगवान् महावीर के बारे में महर्षि शिवव्रत लाल जी बर्मन एम0ए0 'साधूनाम' के माहवारी रिसाला, माह जनवरी 1911 में (प्रकाशित) हुए 'महावीर स्वामी के पवित्र जीवन' में फरमाते हैं कि "यह जबरदस्त रिफारमर और जबरदस्त उपकारी बड़े ऊँचे दर्जे के उपदेशक और प्रचारक थे। यह हमारी कौमी तारीख के For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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