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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम खण्ड शवयात्रा का जुलूस अस्पताल से प्रातः 10.30-11.00 बजे के बीच प्रारम्भ हुआ। मण्डला और आस-पास के नागरिकों की भीड़ को पुलिस कभी नहीं संभाल पाती, पर जुलूस में पुलिस नहीं थी। तत्कालीन तहसीलदार श्री चौहान शवयात्रा में शामिल हुए थे। मण्डला के इतिहास में इतनी बड़ी शवयात्रा कभी नहीं निकली। नगर के सभी जाति-वर्ग के लोग शवयात्रा में शामिल थे। कहा जाता है कि लगभग नौ हजार लोग उनकी शवयात्रा में शामिल थे। उस समय मण्डला मात्र 12 हजार की बस्ती थी। अमर शहीद का शव तिरंगे में लिपटा हुआ था। भीड़ नारे लगाते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। रपटा होते हुए शवयात्रा का जुलूस बंजर नदी के किनारे स्थित श्मशान घाट पर पहुँचा। लगभग 2 बजे उनके पार्थिव को चिता पर रखा गया। श्री चेतराम चौधरी ने बिलखते हुए हृदय पर पत्थर रखकर उनका अग्नि संस्कार किया। चिता धू धू कर धधक उठी, उनका पार्थिव शरीर देखते-देखते भस्म हो गया। उनकी कीर्ति को चिरस्थायी बनाने के लिए उदय चौक पर त्रिकोणाकार लाल लाट (पत्थर) का 'उदय स्तम्भ' बना है। समीप ही नगर पालिका, मण्डला द्वारा निर्मित 'उदय प्राथमिक विद्यालय' बना है। जगन्नाथ हाई स्कूल में उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है। महाराजपुर में उनका समाधि स्थल है, जहाँ प्रतिवर्ष 16 अगस्त को मेला लगता है और इस अमर शहीद को श्रद्धांजलि दी जाती है। मण्डला के प्रखर कवि श्री मुरारी लाल के शब्दों में 'अमर वीर माँ का दुलारा उदय प्यारा उदय मेरा प्यारा उदय पन्द्रह अगस्त सन् बयालीस की बात नहीं भूल सकता वो खूनी प्रभात जहाँ से हुआ शहीद प्यारा उदय खुले वक्ष पर झेल गोली का बार गुलामी की जंजीर पर कर प्रहार किया माँ के ऋण का चुकारा उदय सिखाया हमें मर के जीने का मोल मरण क्षण लो 'जयहिन्द' 'जयहिन्द' बोल बना पथ प्रदर्शक हमारा उदय प्यारा उदय मेरा प्यारा उदय हम सब मिल आपस के बैरों को भल चढ़ाते तेरी कब पर आज फूल नमन हो स्वीकृत हमारा उदय प्यारा उदय मेरा प्यारा उदय।" (देखें- साप्ताहिक हिन्दुस्तान, 16 अगस्त, 1992, पृष्ठ 28) आ0- (1) म0 प्र0) स्व0 सै0, भाग 1, पृष्ठ 204 (2) साप्ताहिक हिंदुस्तान, 16 अगस्त 1992, पृष्ठ 28 (3) म0 , 15 अगस्त 1987 (4) जै0 स0 रा0 अ0 (5) नवीन दुनियां, जबलपुर- 15 अगस्त 1992 (6) अनेक स्मारिकायें (7) शहीद गाथा, पृष्ठ । से 29 (8) क्रान्ति कथायें, पृ0 788 (9) नई दुनियां, इन्दौर, 2-8-1997 For Private And Personal Use Only
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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