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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 62 www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्वतंत्रता संग्राम में जैन अमर शहीद वीर उदयचंद जैन भारत वर्ष की आजादी के लिए 1857 ई० से प्रारम्भ हुए 1947 तक के 90 वर्ष के संघर्ष में न जाने कितने वीरों ने अपनी कुर्बानियां दीं, कितने देशभक्तों ने जेल की दारुण यातनायें भोगीं। इस बीच अनेक आन्दोलन, सत्याग्रह, अहिंसक संघर्ष हुए, किन्तु 1942 का 'करो या मरो' आन्दोलन निर्णायक सिद्ध हुआ। इसी आन्दोलन के अमर शहीद हैं वीर उदय चंद जैन । प्राचीन महाकौशल और आज के मध्य प्रदेश का प्राचीन और प्रसिद्ध नगर है मण्डला | नर्मदा मैया कल-कल निनाद करती हुई यहाँ से गुजरती हैं। यह वही मण्डला है, जहाँ शंकराचार्य ने मण्डन मिश्र को शास्त्रार्थ में पराजित किया था, पर आज लोग मण्डला को अमर शहीद वीर उदयचंद की शहादत के कारण जानते हैं। मण्डला नगर के पास ही नर्मदा मैया के दूसरे तट पर बसा है महाराजपुर ग्राम । इसी ग्राम के निवासी थे वीर उदयचंद जैन, जिन्होंने मात्र 19 वर्ष की अल्पवय में सीने पर गोली खाकर देश की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया था। उदयचंद जैन का जन्म 10 नवम्बर 1922 को हुआ। आपके पिता का नाम सेठ त्रिलोकचंद एवं माता का नाम श्रीमती खिलौना बाई था। उदय चंद की प्रारम्भिक शिक्षा महाराजपुर में हुई। 1936-37 में आगे अध्ययन के लिए वे जगन्नाथ हाई स्कूल (वर्तमान नाम- जगन्नाथ शासकीय बहुद्देशीय आदर्श उच्चतर माध्यमिक शाला ) मण्डला में प्रविष्ट हुए । उदयचंद मेधावी छात्र तो थे ही, अपनी नेतृत्व क्षमता के कारण वे छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गये। तब वे हाई स्कूल के छात्र थे। उदय चंद बलिष्ठ और ऊंचे थे, हाकी उनका प्रिय खेल था । विज्ञान और गणित में उनकी अत्यधिक अभिरुचि थी। अपना काम स्वयं करने की प्रवृत्ति बचपन से ही थी। वे अत्यन्त मितव्ययी, ओजस्वी वक्ता और प्रायः मौन रहने वाले थे। मण्डला नगर में आजादी की लड़ाई 1933 में ही उग्र रूप धारण कर चुकी थी, जब पूज्य बापू की चरण-रज इस नगर में पड़ी थी। 1939 में नेताजी सुभाष चंद बोस के आने से आंदोलन को और अधिक बल मिला। For Private And Personal Use Only 1942 के आन्दोलन ने सारे देश को झकझोर दिया। 'करो या मरो' का नारा बुलन्द हुआ। मण्डला नगर भी पीछे नहीं रहा। यहाँ के शीर्षस्थ नेता पंडित गिरिजा शंकर अग्निहोत्री अन्य नेताओं के साथ जेल में बन्द किये जा चुके थे। ऐसी दशा में कार्यकर्ताओं को अपने विवेक से निर्णय लेना था। 14 अगस्त 1942 को श्री मन्नूलाल मोदी और श्री मथुरा प्रसाद यादव के आह्वान पर जगन्नाथ हाई स्कूल के छात्रों ने हड़ताल कर दी। उन्होंने कक्षाओं का बहिष्कार किया। उदय चंद मैट्रिक के छात्र थे। उदय चंद के चचेरे भाई कालूराम जी भी उनके साथ पढ़ते थे। शाम को कालूराम जी घर लौट गये पर उदय चंद घर वापिस नहीं गये, वे अपने साथियों से सलाह मशविरा करते रहे। उन्होंने श्री हनुमान प्रसाद अग्रवाल, श्री जीवन लाल घोष के निवास स्थानों पर सलाह की। पुलिस को सम्भवतः इन नौजवानों की गतिविधियों की भनक पड़ चुकी थी।
SR No.020788
Book TitleSwatantrata Sangram Me Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain, Jyoti Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year2003
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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