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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassaqarsuri Gyanmandir * मोत्तुं // 147 // तुम्भंपि बंदणत्थं आगमणं तेण होइ नो मज्झ / मह विरहे सा वरई इण्हिर्षि हु अच्छए किच्छ॥१४८॥ तत्तो *गुरुणा भणियं चंचलचित्ताण महिलिआण कए / को व सेकन्नो पुरिसो हारिजा अप्पयं भद्द! // 149 // पवणुद्धयधयचंचलचित्तासु | महिलिआसु आसत्तो / जो धम्मम्मि पमायइ, सो काउरिसो न सप्पुरिसो॥१५०॥ ___अविय / अंतोविसभरियाओ मणहररूवाओ वज्झवित्तीए / गुंजाफलसरिसाओ होति सभावेण महिलाओ॥१५१॥ सञ्चदयसो यरहिया अकञ्जनिरयाओ साहसधणाओ। भयजणणीओ, तासु को व सैकनो रई कुजा॥१५२॥ रत्ताओ हरति धणं पाणेवि | हरति तह विरत्ताओ। रागेवि विरागेवि य भयंकरा दुट्ठजुवईओ॥१५३।। अन्नं चिंतेति मणे नियंति अन्नं घडेंति अनेण / चलचिताण ताण को नाम हविज वल्लहओ? // 154 / / मारेंति पई जारस्स कारणे तंपि हंदि ! अन्नट्ठा। वीसासंति य अनं सम्भावं नेय पर्यडेंति // 155 // किं बहुणा भणिएणं जाओ य हणंति निययपुत्तंपि / को नाम पिओ तासि हविज चवलाण महिलाण // 156 // | ता भद्द ! एरिसाणं तैडिच्छडाडोवचवलहिययाणं / महिलाण कए को इह हविज्ज सिढिलायरो धम्मे 1 // 157 // इय गुरुभणियं | सोउं विहसिय धणवाहणेण संलत्तं / अन्नाओ जुवईओ एवंविहदुदुचरियाओ॥१५८॥ मह महिला पुण सरला पइव्वया सच्चसीलदयजुत्ता / अणुरत्ता सुविणीया थिरनेहा गुरुजणे भत्ता // 159|| सरिसा सा कह होज्जा असुद्धचरियाण अन्नमहिलाण ? / लोहतुरंगाईणं दीसइ गुरु अंतरं लोए॥१६०॥ तत्तो गुरुणा भणियं मणोहरा तुज्झ जइवि सा महिला / तहवि हु उवभुजंता सैरणी सा 1 कृच्छ्रे यथा स्यात्तथा, कण्टेनेत्यर्थः। 1 सकर्णः मतिमान् / 3 कापुरुषः कातरः। 4 साहसम् अविचार्यकारित्वं धनं यासां ताः, साहसिक्य इत्यर्थः / ५रतिम्= EET भासक्तिम् / 6 पश्यन्ति / 7 घटन्तेसंबध्यन्ते। 8 अन्यार्थम् / 9 विश्वसन्ति / 1. प्रकटयन्ति / 11 तडिच्छटाऽऽटोपचपलहृदयानाम् / 11 सरणिः मार्गः। For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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