________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरि। // 67|| ___महया उवरोहेणं समागओ वंदिऊण तो सूरिं / उवविट्ठो से पुरओ अह सूरी भणिउमादत्तो // 134 // पोग्गलपरियडेहिं बहहिं * | अट्ठमो संपाविऊण मणुयत्तं / हारेसु मा मुंहाए विसयामिसैमोहिओ भद्द ! // 135 // विसएसु दढं सत्ता सेत्ता बंधति अमुहकम्माई। तव्वसओ संसारे भमंति अहमासु जोणीसु // 136 // वहबंधमारणाई नाणाविहवेयणाओ नरएसु / पाविति विसयगिद्धा दूसहाओ दीहरं | | कालं // 137 // अच्छउ ता परलोए इहेव पाविति गरुयदुक्खाई / विसयपसत्ता दुईतइंदिया देहिणो बहवे // 138 // मोत्तूण नियय| जूहं करेणुसुहसुरयफासपडिबद्धो। बद्धो वारीबंधे फासेण गओ गओ निहणं // 139 // रसणिदियम्मि लुद्धो विद्धो गलएण मच्छओ | निहओ। पाणिदियम्मि सत्तो पत्तो उरगोवि मरणदुहं // 140 // उज्जोइयसयलदिसं दीवसिहं पेच्छिउं पयंगोवि / तग्गहणरओ मरणं | पत्तो नणु चक्खुदोसेण // 141 / / गोरीसद्दासत्तो निच्चलतड्डवियकन्नजुयलिल्लो / सवणिंदियदोसेणं मिओ मओ वाहवाणेण // 142 // | एक्किकिंदियवसगा एए सब्वेवि पाविया निहणं / पंचिंदियवसगाणं नराण पुण का गई होजा? // 143 / / ता पंचिंदियवसगो विसयसुहं सेविऊण मा भद्द।। धम्मोवजणरहिओ वच्चसु घोरम्मि नरयम्मि // 144 // किजउ धम्मम्मि मई विसयसुई उज्झिऊण ता इण्हि / सहलीकरेसु सुंदर! अइदुलहं मणुयजम्मेति // 145 // एवं गुरुणो वयणं निसम्म धणवाहणो इमं भणइ / इच्छामि तुम्ह वयणं किं पुण निसुणेह मह भणियं // 146 // अइनेहपरा वरई खणमवि विरहं न सक्कए सोढुं / दइयाऽणंगवई मह तेण न सक्केमि 1 पुद्गलपरिवत: अनन्तकालविशेषः। 2 मुधा / 3 आमिर्ष मांसम् / 4 सक्ताः अवबद्धाः / 5 सत्त्वाः जीवाः। 6 जूहो-न्यूयः हस्तिसमुदायः। 7 गजः / // 67 // | 8 गतः / 9 निधनम्मरणम् / 1. मत्स्यकः / 11 तङ्कविय-ततं / 12 मिओ=मृगः / 13 वाहो-ग्याधः। 14 धर्मोपार्जनरहितः धर्मकरणवर्जितः / 15 सफलीकुरुष्व / For Private and Personal Use Only