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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir B**18/2072* गुरुपामूले अहिजिउ सो समाढत्तो // 117 // सिग्धं महामई सो जाओ सुत्तत्थतदुभयविहिन्न / चुदसपुव्वी गुरुसाहुसम्मओ गुण| गणावासो // 118|| नाऊण जोगय से सुहरिक्खे सरिणा नियपयम्मि / अहिसित्तोसूरीवि य संलिहियतणू गओ मोक्खं // 119 // सम| णगणसंपरिवुडो सुहम्मसूरीवि विविहदेसेसु / बोहितो भवियजण विहरइ पुरगामनगरेसु ॥१२०॥धणवाहणोवि कमसो वडेतो पंचधाइपरियरिओ / पत्तो कुमारभावं अहिन्जिओ तह कलानिवहं // 121 // पत्तो य जोव्वणं सो कामिणिजणहिययचोरणसमत्थं / पिउणा य तन्निमित्तं वरिया वररूवसंपन्ना // 122 / / सिरिसुप्पइटनयरे धूया हरिदत्तपवरइब्भस्स / विणयबईसंभूयाऽणंगवई नाम वरकन्ना // 123 / / महया विच्छड्डेणं परिणीया सोहणम्मि सा लग्गे / धणवाहणेण तत्तो आणीया निययनयरीए // 124 // अह सो तीए रत्तो जोव्वणवररूवसोउँमल्लेसु / गाढं विसयासत्तो गयंवि कालं न याणाइ // 125 / / अह अन्नया सुधम्मो विहरंतो मुणिवरो तहिं पत्तो। विज| यवईनयरीए वासारत्तस्स पारंभे // 126 / / साहहिं तत्थ वसही विमग्गिया ताहि सत्थवाहेण / धणभूइणा विदिना सुविसुद्धा जाणसालासु | // 127 / / नियपरियणेण सहिओ सत्थाहो एइ गुरुसमीवम्मि / सामाइयाइजुत्तो संविग्गो सुणइ जिणधम्म / / 128 // धणवाहणो उ दइ| यासुरयसुहासत्तमाणसो धणियं / पिउणा भणिओवि दढं नए (हो?)इ गुरुवंदओ कहवि // 129 // अह तं विसयासत्तं गुरुरागं धम्मकरणनिरवेक्खं / परिचत्तसेसकर्ज दळु लहुभायरं गुरुणो // 130 // जाया एसा चिंता भाया मे रागमोहिओ वरओ। जिणवयणबाहिरमई इंदियविसएसु आसत्तो / / 131 / / दुल्लहमवि मणुयत्तं पावित्ता धम्मविरहिओ एसो / गच्छिस्सइ नरयम्मि घोरासु य तिरियजो णीसु // 132 / / तिसृभिः कुलकम् / / केणावि उवाएणं बोहेमी रागमोहियं एयं / एवं विचिंतिऊण गुरुणा सद्दीविओ भाया // 133 / / . पामूलं पादमूलम् / 2 अध्येतुम् / 3 विहिन्न विधिशः / 4 योग्यताम् / 5 संपरिघृतः परिकरितः / 6 वर्या-श्रेष्ठा / * सोउमल्ल सौकुमार्यम् / 8 जाण= यानम् / 9 वन्दत इति वन्दकः / 10 शब्दायिता आहूतः / 2* ** * * For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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