________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेण रे ! रे खयराहम ! कत्थ वचसे इन्हि ? / इहपरलोयविरुद्ध एरिसं कम्म समायरिउं ? // 31 // युग्मम् / / काउं रायविरुद्धं नासतो कत्थ छुट्टसे पाव!? / स्यारसालवडिओ ससउव्व विणस्ससे इहि // 32 // रे ! रे ! केण बलेषं एरिसकम्मं तुमे समायरियं / हरिऊण मह महेलं नासंतो कत्थ छुट्टिहिसि // 33 // रे मूढ ! केण दिना तुह बुद्धी एरिसा अहम्मेण ? / अहवा कुविओ दइयो | पुरिसं किं हणइ लेउडेण ? // 34 // रे मूढ ! पुअवन्जिय ! उम्मग्गपयट्ट ! नट्ठमजाय ! / कुविओ तुज्झ कयंतो तेण तुमे एरिसं विहियं // 35 // जेण बलेणं एवं रायविरुद्धं तुमे समायरियं / तं कुणसु इण्हि पयर्ड मा भणिहिसि जंन भणियंति // 36 // एसो तुह तिक्खेण सीसं छिंदामि अद्धचंदेण / जइ अत्थि पोरिसं किंचि होसु ता जुज्झसजोत्ति // 37 // भो सुप्पइट्ठ! एवं भणिऊणं तेण गरुयरोसेण / आयड्डिऊण धणुहं मुक्को मह संमुहो बाणो // 38 // अह सो धणुहविमुक्को वेगेणागम्म मज्झ आसन्ने / आवडिउब्व सिलाए वेलिओ पच्छामुहो झत्ति // 39 // तं दटुं सो खयरो विम्हियहियओ ससंकिओ किंचि / खणमेगमच्छिऊणं इय वञ्जरिउं समाढत्तो ॥४०॥जइ कहवि खुद्दविजापभावओ मह सरो पडिक्खलिओ / तहनि न छुट्टसि इम्हि अंग्गेवाईण सत्थाण // 41 // एवं च भणतेणं तेणं आवाहियाई सत्थाई / अहिमतिय मंतेहिं मुंचइ इकिकय कमसो // 42 // अविय / उद्विंतफुलिंगालं फुरंतजालासहस्ससंबंलिय / अग्गेयं अइभीमं मज्झ बहेवाए पैवियं // 43 / / तपि हु मह आसने 1 सूपकारशालापतितः / 1 महिला भार्या / 3 मुच्यसे / 4 अधर्मेण पापेन / 5 लगुडो लोहमयी यष्टिः / कृतान्तो यमः / 7 अर्धचन्द्रोम्याणविघोषः भाकृष्य / वलित प्रतिगतः / 1. आमेयादीनो पात्राणाम् / " आवाहिय-आरचितम् 12 भभिमन्य / उत्तिष्ठन्त ऊर्च गरछन्तो ये || स्फुलिझा अमिकणास्ते सन्त्यस्य तत्तथा / 14 संवलित व्याप्तम् / 15 वधार्थम् / 17 प्रस्थापितम् प्रेषितम् / For Private and Personal Use Only