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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काऊणं च कुहाडं, कंठे राया पभायसमयंमि । मंतिसामंतसहिओ, जा पत्तो गुदुरदुवारे ॥ ९५२ ॥ अर्थ-तदनंतर प्रभात समयमें कांधेपर कुहाड़ा रखके मंत्री सामंतों सहित राजा जितने तंबूके दरवाजे आया ॥९५२॥ ताव सिरिपालरन्ना, मोयावेऊण तं गलकुहाडं । पहिराविऊण वत्था,-लंकारे सारपरिवारो ॥९५३ ॥ अर्थ-उतने श्रीपाल राजाने कांधेका कुहाडा दूर करवाके प्रधानवस्त्र आभूषण पहराके सारपरिवार सहित ॥९५३॥ आणाविओ य मझे, दिन्ने य वरासणंमि उवविट्ठो, सो पयपालो राया, मयणाए एरिसं भणिओ ९५४ में ___ अर्थ-तंबूमें बुलाया प्रधान आसन बैठनेको दिया तब सिंहासनपर बैठा हुआ प्रजापाल राजाको मदनसुंदरीने ऐसा बचन कहा ॥ ९५४ ॥ ताय तए जो तइया,मह कम्मसमप्पिओवरो कहिओ। तेणज तुह गलाओ,कुहाडओ फेडिओएसो९५५ ___ अर्थ-क्या कहा सो कहते है पिताजी आपने मेरे पाणिग्रहणके समयमें मेरा कर्मलाया ऐसा वर कहाथा उस मेरे| है भर्तारने आज आपके कांधेसे कुहाड़ा दूर कराया अर्थात् मालवका राज्य आपको दिया ॥ ९५५ ॥ तो विमिओय मालवराया, जामाउयंपि पणमेई। पभणेइ असामि तुम, महप्पभावोवि नो नाओ ९५६ । SHOCOLARSACREAK For Private and Personal Use Only
SR No.020724
Book TitleShripal Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtiyashsuri
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year
Total Pages334
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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