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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuti Gyanmandir श्रीपाल- अर्थ-वह धवल सातवीं भूमिसे गिरा और सातवीं नरक पृथ्वी याने सातमी नरक गया यह अर्थयुक्त है जिसकार- भाषाटीकाचरितम् दाणसे ऐसे दुष्टोंको सातमी नरकसे और कौन ठिकाना है अपि तु कोई नहीं ॥ ७५१ ॥ | सहितम्. हैतं दह्ण पभाए, लोओ चिंतेइ इमाइ चिट्ठाए। कुमरहणणत्थमेसो, नजइ आहाविओ नूणं ॥७५२॥ | अर्थ-प्रभातमें लोक अपने हाथकी छुरीसे मराहुआ धवलको देखके विचारे निश्चय इस चेष्टासे धवल कुमरको मारनेके लिए ऊपर चढा है और गिरके मरगया ॥ ७५२॥ अहह अहो अहमत्तं, एयस्स कुबेरसिट्ठिणो नूणं । जो उवयारिकपरे, कुमरेवि करेइ वहबुद्धिं ॥ ७५३॥ | अर्थ और क्या विचारे सो कहते हैं अहह इति खेदे अहो इति आश्चर्ये इस कुवेरसेठका अधमत्व आश्चर्यकारी है कैसे सो कहते हैं निश्चय उपकार करने में तत्पर ऐसे कुमरपर यह दुष्ट मारनेकी बुद्धि करता है ॥ ७५३ ॥ एएणं पावणं, जो दोहो चिंतिओ कुमारस्स । सो एयस्सवि पडिओ, अहो महप्पाण माहप्पं ७५४ 5 अर्थ-इस पापी क्रूर धवलने जो कुमरका द्रोह विचारा वह इसीहीपर पड़ा और महापुरुषोंका माहात्म्य आश्चर्य-12 कारी है ॥ ७५४ ॥ ॥९५॥ कुमरोवि हु तच्चरियं, चिंतंतो सोइऊण खणमिक्कं । काऊण पेयकिच्चं, दावेइ जलंजलिं तस्स ॥७५५॥ है| RECAUSERECRUGRUAR GASTASAARISAARA OG For Private and Personal Use Only
SR No.020724
Book TitleShripal Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtiyashsuri
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year
Total Pages334
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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