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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SALAAMSAX अर्थ-ऐसे रहतेभी जो इस कुमरको मैं अबीभी कोई प्रकारसे मारूं अर्थात् प्राण रहित करूं तो यह लक्ष्मी मेरेही होवे ॥ ७४७॥ अन्नं च इत्थ सत्तम,-भूमीए सुत्तओ इमो इक्को । ता हणिऊणं एयं, रमणीवि बलावि माणेमि ७४८ PI अर्थ-औरभी यहां सातवीं भूमिपर कुमर इकेला सोता है इस लिए इस कुमरको मारके इसकी तीनों स्त्रियोंको जबरदस्तीसे में भोगवू ॥ ७४८॥ इय चिंतिऊण हिट्ठो, धिट्ठो दुठ्ठो निकिट्ठपाविट्ठो। असिवेणुं गहिऊणं, पहाविओ कुमरवहणत्थं ॥७४९॥6 | अर्थ-ऐसा विचारके वह धवल हर्षित होके छुरी लेके कुमरको मारनेके लिए चला कैसा है धवल धेठा है और दुष्टर है इसी कारणसे निकृष्ट नाम अधम है और अतिशय पापी है ॥ ७४९ ॥ उम्मग्गमुक्कपाओ, पडिओ सो सत्तमाओ भूमीओ। छुरियाइ उरे विद्धो, मुक्को पाणेहिं पावुत्ति ७५० | अर्थ-भय और उतावलके वशसे उन्मार्गमें चढ़ते पग डिगगया सातवीं भूमिसे गिरा अपने हाथमें रही भई छुरी 8 यह पापी है ऐसा करके मानो पेटमें प्रवेश करगई अर्थात् प्राणोंसे रहित भया ॥ ७५० ॥ है सो सत्तमभूमीओ, पडिओ पत्तो य सत्तमि भूमि । नरयस्स तारिसाणं, समत्थि ठाणं किमन्नत्थ ॥७५१॥ 26***ARAGUSAHA * For Private and Personal Use Only
SR No.020724
Book TitleShripal Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtiyashsuri
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year
Total Pages334
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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