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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (1) ॥ कम्ममिहिं कम्मचूमिहिं, पढमसंघयणि ॥ उक्कोसन सत्तरिसय, जिणवराण विरहंत बप्लश् । नवकोमिहिं केवलिण, कोमि सहस्स नव साहु संपर ॥ संपर जिणवर वीस मुणि बिहुँ कोमिहिं वरनाण ॥ समणह कोमीसहस्सअ, श्रुणिका निच्चविहाणि ॥ १॥ सत्ताणवश्सहस्सा, लरका बप्पन्न अकोमी ॥ चनसय गयासीया, तिसक्के चेइए वंदे ॥२॥ वंदे नव कोमि सयं, पणवीस कोमि लरक तेवन्ना ॥ अभावीस सहस्सा, चनसय असिया पमिमा ॥३॥ १२ ॥ १३ ॥ ॥श्रथ जंकिंचि ॥ जं किंचि नाम ति ॥ सग्गे पायाले माणुसे खोए ॥ जाई जिणबिंबाई ॥ ताई सवाई वंदामि ॥ १॥ इति ॥१४॥ ॥अथ नमुराणं वा शक्रस्तव ॥ नमुबुणं अरिहंताएं, लगवंताएं ॥१॥ आगराणं, ति. थराणं, सयंसंबुझाएं ॥२॥ पुरिसुत्तमाणं, पुरिससीहाणं, पुरिसवरपुमरीआणं, पुरिसवरगंधहबीणं ॥ ३ ॥ लोगुत्तमाएं, खोगनाहाणं, लोगहियाणं, लोगपश्वाणं, लोगपजोअगराएं ॥४॥ अजयदयाणं, चरकुदयाणं ॥ मग्गदयाणं, सरणदयाणं बोहिदयाणं ॥ ५॥ धम्मदयाणं, धम्मदेसियाणं ॥ धम्मनायगाणं, धम्मसारहीणं, धम्मवरचानरंतचक्कवट्टीणं ॥ ६ ॥ अप्पमिहयवरनाणदंसाणधराणं, विअट्टरमाणं ॥७॥ जिणाणं जावयाणं, तिन्नाणं तारयाणं, बुखाणं बोहयाणं, मुत्ताणं मोत्रगाणं ॥७॥ सवन्नृणं सवदरिसिणं, सिवमयलमरुअमर्यंत मरकय मवाबाह मपुणरावित्ति ॥ सिद्धिगश्नाम धेयं गणं संपत्ताणं, For Private And Personal Use Only
SR No.020721
Book TitleShravak Nitya Krutya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkrupachandrasuri
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1923
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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