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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १०८ ) ए॥ जाण तो ए तिहुअण नाह, लोक विवहार न पालियो ए ।। अतिभलो ए कीलो सामि, जाण्यो केवल मांगसेए ॥ चिंतव्यो ए वालक जेम, अहवा केडें लागसे ए ॥ ३४ ॥ हूं किम ए वीरजिणंद, भगतहिं भोले भोलव्यो ए ॥ आपणो ए ऊंचलो नेह, नाहन संपे साचव्योए ॥ साचोए ए वीतराग, नेह न हेजे लालीयोए ।। तिणसमे ए गोयमचित्त, राग वैरागे वालियो ए ।। ३५ ।। आवतो ए जो उल्लाह, रहितो रागें साहियो ए || केवल ए नाण उप्पन्न, गोयम सहिज उमाहियो ए ॥ तिहुअण ए जयजयकार, केवलमहिमा सुर करे ए ॥ गणधरु ए करय वखाण, भविया भव जिम निस्तरे ए ॥ ३६ ॥ वस्तु || पढम गणहर पढम गणहर वरस पच्चास, गिहवासें संवासिय तीस वरस संजम विभूसिय, सिरि केवलनाणपुण, बार वरस तिहुअण नमसिय, राजगृही नयरी ठव्यो, बाणवह वरसाउ, सामी गोयम गुणनिलो, होसे सिवपुरठाउ || ३७ ॥ भासउ । जिम सहकारें कोयल टहुके, जिम कुसुमावन परिमल महके, जिमचंदन सोगंधनिधि || जिम गंगाजल लहिर्या लहके, जिम कणयाचलते जे झलके, तिम गोयम सोभागनिधि ॥ ३८ ॥ जिम मानसरोवर निवसे हंसा, जिमसुरतरुवर कणयवतंसा, जिम महुयर राजीववनें ॥ जमरयणायर रयणें विलसे, जिम अंबर तारागण विकसे, तिमगोयम गुरु केल घने ।। ३९ ।। पूनमनिसि जिमससियर सोहे, सुरतरु महिमा जिम जगमोहे पूरवदिसि जिम सहसकरो || पंचानन जिम गिरिवरराजे, नरवर घर जिममेंगल गाजे, तिम जिनशासन मुनिपवरो ॥ ४० ॥ जिमगुरुतरुवर सोहेशाखा, जिम For Private And Personal Use Only
SR No.020721
Book TitleShravak Nitya Krutya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkrupachandrasuri
PublisherNirnaysagar Press
Publication Year1923
Total Pages178
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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