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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्राथमिक अभ्यासीओने उपयोगी थशे तेम धारी, तेना प्रकाशननो अमारो आ प्रयत्न छे. पदच्छेद, पदार्थोक्ति, विग्रह, वाक्ययोजना अने आक्षेपोनुं समाधानः व्याख्यानां ए पांचे लक्षणो आ नानकडी व्याख्यामां पण ग्रन्थकारे जालव्यां छे, ए एमनी विद्वत्तानुं सूचन करे छे. आ प्रतिनी साथे ज व्याख्यानो गुजराती-स्तबक (टबो) पण साथे हतो,ते अहीं मुद्रित कर्यो नथी. __आ व्याख्यानी एक मात्र प्रति अमारा हाथमां आवी छे. मुनिश्री जशविजयजी अने मुनिश्री चारित्रविजयजी श्रीकेशरीयाजी तीर्थनी यात्राए जतां, डुंगरपुर गया हता. त्यांना उपा. श्रयना एक खूणामां हस्तलिखित प्रतिओनो एक ढगलो पडेलो हतो, ते त्यांना संघनी अनुमतिथी तेमणे लई लीधो. अहीं खंभात आवी तेनुं निरीक्षण करतां, अनेक प्रतिओनी जेम आ प्रति पण जोवामां आवतां, पू. मुनिश्री विक्रमविजयजी महा. राजने बतावी. आनी विरलता अने विशिष्टताने लीधे, तेनुं प्रकाशन करवानी इच्छाथी पांडुलिपि करी लीधी. ते आजे आ स्वरूपमां वांचकोना करकमलमां सादर थाय छे. आमां आवतां अवतरणोनो स्थलनिर्देश करवानो पण यथाशक्य प्रयत्न करवामां आव्यो छे. विशेष माहिती आपवा केटलेक स्थले पादनोंघ पण मूकी छे. छल्ले व्याख्यामां आवतां अवतरणोना कर्ता अने स्थाननो निर्देश करती सूची पण जोडवामां आवी छे. __ 'सकलकुशलेति शान्तिकाव्य-व्याख्यानकं समाप्तमुपनीत श्रीचन्द्रविजयेन श्रीमदमस्तु' एवा व्याख्याना अंतभागमां, व्याख्याकारे करेला उल्लेख उपरथी, आ व्याख्याना कर्ता 'श्रीचन्द्रविजय' नामक कोई विद्वान मुनिवर छे, एम स्पष्ट जणाय छे. श्रीचन्द्रविजय ए नामना त्रण मुनिवरो तपागच्छमां थया छे. ए त्रणेय मुनिवरोए गुजराती पद्यरचना करेली छे. For Private And Personal Use Only
SR No.020695
Book TitleShanti Shloak Tika Tatha Anyamat Dushanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVikramvijay
PublisherChandulal Jamnadas
Publication Year1954
Total Pages31
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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