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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सन्ध्याकारिका सन्ध्यात्रयभाष्यम् परशुराम । - ले. सर्वेश्वर । लीलाधर के पुत्र । (अपरनाम-दिनकल्पलता) ले. रामपण्डित एवं कृष्णपण्डित। सन्ध्यानिर्णयकल्पवल्ली लक्ष्मी के पुत्र चार गुच्छों में पूर्ण । सन्ध्याप्रयोग श्लोक - 132 | विषय - श्रुति और तंत्र द्वारा सम्मत त्रैकालिक सन्ध्याविधि । - सन्ध्यामंत्र व्याख्या ब्रह्मप्रकाशिका ले. वनमाली मिश्र । भट्टोजि के शिष्य । ई. 17 वीं शती । सन्ध्यारत्नप्रदीप- ले. आशाधर भट्ट । तीन किरणों में पूर्ण । सन्ध्यावन्दनभाष्यम् ले. वेंकटाचार्य विषय ऋक्संध्या । (2) ले. शंकराचार्य। (3) ले शत्रुघ्न । (4) ले.श्रीनिवासतीर्थ । (5) ले तिरुमलयज्वा । (6) ले. नारायण पण्डित (प्रस्तुत लेखक ने 60 ग्रंथ लिखे हैं ।) (7) ले.( या सन्ध्याभाष्य ) ले आनन्दतीर्थ (8) ले कृष्णपण्डित। राघवदैवज्ञ के पुत्र । चार अध्यायों में पूर्ण । (9) ले.चौण्डपाये । चिन्नयार्य एवं कामाम्बा के पुत्र । आश्वलायनीयों के लिए। (10) ले. रामाश्रययति । महादेव के शिष्य । वाराणसी में 1652-53 ई. में प्रणीत । (11) ले. विद्यारण्य । विषयऋग्वेदी संध्या एवं तैत्तिरीय संध्या । (12) ले व्यास । नृसिंह के शिष्य । सन्ध्यावन्दनमंत्र से विभिन्न वेदों के अनुयायियों के लिए इस नाम के अनेक ग्रंथ हैं। - सन्ध्याविधिमंत्रसमूहटीका ले. रामानन्द तीर्थ । सन्ध्याविधि - रत्नप्रदीप ले. आशाधर । श्लोक- 5001 सन्ध्यासूत्रप्रवचनम् ले. हलायुध । संन्यासग्रहणपद्धति ले. आनन्दतीर्थ । जनार्दनभट्ट के पुत्र (2) ले शंकराचार्य (3) ले शौनक। संन्यासग्रहणरत्नमाला ले. भीमाशंकर शर्मा । संन्यास ग्राह्यपद्धति (संन्यासप्रयोग सप्तसूत्री) शंकराचार्य । विषय- संन्यासग्रहण के समय के कृत्य । संन्यासदीपिका - ले. सच्चिदानन्दाश्रम । नृसिंहाश्रम के शिष्य । संन्यासदीपिका ले. - अग्निहोत्री गोपीनाथ । ले. संन्यासधर्मसंग्रह ले. अच्युताश्रम - - - www.kobatirth.org - ले. - संन्यासपदमंजरी - ले. वरदराज भट्ट । संन्यासपद्धति ले निम्बार्कशिष्य (2) ले । (3) ले रुद्रदेव (प्रतापनारसिंह से उद्धृत) संन्यासनिर्णय ले पुरुषोत्तम। (2) ले.- वल्लभाचार्य । इस पद्यात्मक ग्रंथ पर लेखक की टीका है। उसके अतिरिक्त पुरुषोत्तम कृत विवरण तथा रघुनाथ की और विट्ठलेश की टीका है। , ब्रह्मानन्दी। (4) ले. शंकराचार्य । (5) ले. शौनक । (6) ले. अच्युताश्रम (7) ले. - आनन्दीतीर्थ । माध्वमत (1119-1119 ई.) के संस्थापक । संन्यासरत्नावली ले. - पद्मनाभ भट्टारक। विषय माध्व सिद्धान्तों के अनुसार संन्यास धर्म का प्रतिपादन । संन्यासवरणम् - ले.- वल्लभाचार्य । संन्यासविधि ले. विष्णुतीर्थं । संन्यासविवरणम् ले मध्वाचार्य ई. 12-13 वीं शती संन्यासिपद्धति (वैष्णवों के लिए)। संन्यासिसापिण्ड्यविधिले. वेदान्त रामानुजतातदास विषयसंन्यासी के पुत्र द्वारा अपने पिता का सपिण्डीकरण । सम्पत्करीसंवित्स्तुतिचर्चा श्लोक 750 । सम्पत्कुमारविलास-चम्पू ले. रंगनाथ मेलको (कर्नाटक) नगर के देवताओं का महोत्सव वर्णित । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - सम्पद्विमर्शिनी - ले. शम्भुदेवानन्दनाथ । गुरु प्रसन्न विश्वात्मा देशिकेन्द्र विषय त्रिपुरा देवी की पूजापद्धति । संपातिसंदेश ले. पं. कृष्णप्रसादशर्मा घिमिरे काठमांडू (नेपाल) के निवासी इन के 12 ग्रंथ प्रकाशित हुए हैं 1 लेखक, कविरल एवं विद्यावारिधि इन उपाधियों से विभूषित, 20 वीं शती के श्रेष्ठ साहित्यिक माने गए हैं । सम्प्रदायदीपिका - ले. भट्टनाग। श्लोक- 400 10 पटलों में पूर्ण । विषय- मंत्रों के प्रतीक देकर उनकी व्याख्या की गई है। अन्त में स्तुति के मंत्र संनिविष्ट किये गये हैं। सम्प्रदायप्रदीप ले. गद द्विवेदी । 1553-4 ई. में वृन्दावन में प्रणीत । पांच प्रकरणों में पूर्ण पुरुषोत्तम, ब्रह्मा, नारद, कृष्णद्वैपायन, शुक से प्रचलित विष्णुभक्ति की परम्परा दी हुई है। इसमें मार्ग के तिरोधान का वर्णन है और तब वल्लभ, उनके पुत्र विट्ठल, गिरिधर आदि का उल्लेख है, जो पुस्तक लेखन के समय जीवित थे। इसमें पांच बातों का उल्लेख है जिन्हें "वस्तुपंचक" कहा जाता है जिन पर वल्लभ विश्वास करते थे, यथा- गुरुसेवा, भागवतार्थ, भगवत्स्वरूपनिर्णय, भगवत्सेवा, नैरपेक्ष्य। इसमें कुमारपाल, हेमचन्द्र, शंकराचार्य, सुरेश्वराचार्य, मध्वाचार्य, रामानुज एवं निम्बादित्य तथा वल्लभ का, (जब उनके माता-पिता काशी को त्याग रहे थे ।) उल्लेख है। सम्प्रदायसारोल्लास - कुलार्णव तंत्रान्तर्गत । श्लोक - 600 1 संप्रोक्षणकुंभाभिषेक विधि विविध आगमों से संगृहीत श्लोक- 7001 T सम्बन्धगणपति- ले. गणपति रावल । हरिशंकर सूरि के पुत्र । ई. 17 वीं शती। इसमें विवाह के मुहूर्त, विवाह प्रकारों आदि का वर्णन है। For Private and Personal Use Only सम्बन्धनिर्णय ले. गोपालन्यायपंचानन भट्टाचार्य विषयसपिण्ड, समानोदक, सगोत्र, समानप्रवर, बान्धव से संबंधित संस्कृत वाङ्मय कोश ग्रंथ खण्ड / 399 -
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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