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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org तत्त्व की नहीं। तो आओ, अगर मुक्ति को पाना चाहते हो तो समता से अपनी आत्मा को भावित करो । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मिश्र में प्रख्यात संत मकारिया के पास एक आदमी आया उसने संत के चरणों में प्रणाम करके जिज्ञासावश प्रश्न किया। गुरूदेव ! मैं संत बनना चाहता हूँ परन्तु संत बनने के लिए किस गुण की आवश्यकता है? संत मकारिया बोले कि तुम एक काम करो। इस नगर के बाहर जो कब्रिस्तान है। वहाँ जाओ और वहाँ दफनाए गये मुर्दों को तुम खूब गालियाँ दो जो कुछ भी कहना हो कहो, बेफिक्र होकर जिस तरह बोलना हो बोलो। उनका जिस तरह से भी तुम अपमान, तिरस्कार कर सकते हो करके आओ। तब मैं तुम्हे प्रथम आवश्यक गुण के विषय में बताऊँगा । संत की इस आज्ञा को सुनकर आगन्तुक आश्चर्य में पड़ा परन्तु फिर भी संत के चरणों में प्रणाम कर कब्रिस्तान की ओर गया। वहाँ उसने दफनाए हुए मुर्दो को गंदी-गंदी गालियाँ दी, भद्दे-भद्दे वचन बोले । एक एक कब्र पर जाकर उसने थूका व लातों से मारा, लकड़ी से प्रहार भी किया और अन्त में तो आते समय कब्रों पर पत्थर भी मारे । जब वह थक गया तो शाम के समय संत के पास पहुँचा और उसने आज्ञानुसार काम पूरा करने की सूचना दे दी। संत बोले एक काम ओर करो फिर मैं तुम्हें तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूँगा। आगन्तुक हाथ जोड़कर सामने खड़ा हो गया। संत बोले अब पुनः कब्रिस्तान में जाओ और जैसे तुमने सभी प्रकार से मुर्दों का अपमान किया उन्हें गालियाँ दी वैसे ही इस बार उनकी प्रशंसा करना, उनके गुणों के गीत गाना, कब्रों पर फूल मालाएँ चढ़ाना। इस आज्ञा को पाकर वह आगन्तुक वापस कब्रिस्तान आया। उसने मुर्दों की खूब प्रशंसा की फूल मालाएँ कब्रों पर चढ़ाई, उनके सामने गीत गाते हुए मुक्त मन से खूब नाचा और भक्ति पूर्वक प्रत्येक कब्र पर मस्तक झुकाया । प्रातःकाल संत मकारिया के चरणों में आकर उसने मस्तक झुकाया व कार्य पूर्ण करने की सूचना दी और कहा : गुरूदेव ! अब तो गुणविषयक जिज्ञासा शान्त किजिये। संत मकारिया ने उससे पूछा- जिस समय तुमने कब्रों का अपमान किया उस समय उन कब्रों ने कुछ कहा? नहीं। 70 For Private And Personal Use Only
SR No.020580
Book TitlePriy Shikshaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasagar
PublisherPadmasagarsuri Charitable Trust
Publication Year2006
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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